विधानसभा में गुजी जनतंत्र की आवा जमें लगाया गरीब आदिवासियों के आशियाने उजाड़ने का आरोप*

विधानसभा में लगाया गरीब आदिवासियों के आशियाने उजाड़ने का आरोप*

*जयपुर।* सागवाड़ा विधायक रामप्रसाद डिंडोर ने बुधवार को विधानसभा में स्थगन प्रस्ताव लाते हुए सागवाड़ा में प्रशासन पर गरीब आदिवासियों के आशियाने उजाड़ने का आरोप लगाया है। विधायक नेसरकार को बताया कि सागवाड़ा विधानसभा क्षेत्र के मौजा सागवाडा में खसरा नंबर 196 रकबा 2 बीघा 18 बिस्वा एवं 1902/196 रकबा 1 बीघा भूमि व मौजा सागवाडा के खसरा नंबर 5721 की भूमि पर वर्षों से गरीब आदिवासियों का बसेरा है। जिसको राजस्व विभाग ने सागवाड़ा नगर पालिका को आवंटित कर दिया है।वहां पर दिनांक 18 दिसंबर 2019 को उपखंड मजिस्ट्रेट सागवाडा ने बार एसोसिएशन अधिवक्ता कॉलोनी पर अतिक्रमण बताकर उन गरीब आदिवासियों के आशियाने तोड़ दिए गए हैं। जबकि हमें जानकारी है कि उक्त जमीन नगर पालिका ने बार एसोसिएशन अधिवक्ता कॉलोनी के लिए आवंटित नहीं की है। लउपखंड मजिस्ट्रेट सागवाडा द्वारा मनमर्जी से बार एसोसिएशन को आवंटित होना बता उन गरीब आदिवासियों के आशियाने तोड़ दिए गए हैं। गरीब आदिवासियों ने अपने आशियाने बचाने के लिए सभी अधिकारियों से गुहार लगा चुके हैं लेकिन अभी तक उनकी सुनने वाला कोई नहीं है‌ सागवाड़ा का ही मामला खसरा नंबर 4956 रकबा 1 बीघा 5 बिस्वा श्रीमती नागेर पति कोदरा भील निवासी सागवाडा के नाम से तत्कालीन  उपखंड मजिस्ट्रेट सागवाडा द्वारा बिलानाम कर उस जमीन को नगर पालिका व पंचायत समिति सागवाडा के नाम दर्ज कर उस पर निर्माण कार्य शुरू करवा दिया गया। वह महिला अपनी जमीन को बचाने के लिए दर-दर ठोकरें खा रही है लेकिन अभी तक उसे न्याय नहीं मिला‌  एसे एसे सागवाडा क्षेत्रों में सिलोही गांव के 19 काश्तकारों की जमीन का भी मामला इसी प्रकार है। आज से करीब 40 साल पहले कडाणा विस्थापित आदिवासियों को जमीन आवंटित कर सरकार द्वारा पट्टे दिए गए थे लेकिन उनको कब्जा नहीं दिया गया। प्रशासन के पास जाते हैं तो वह बताते हैं कि आपके  इन पट्टों का गलत अंकन किया गया है। इस कारण से आज भी आदिवासी दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं  वहां के  समस्त कडाणा विस्थापित  गांव में  पट्टे तो दे दिए गए हैं लेकिन उनको मालिकाना हक और कब्जा नहीं दिया गया है इसलिए आज भी  कडाणा विस्थापित आदिवासी लोग  न्याय के लिए और अपने  स्थाई आशियाना बसाने के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं । मेरा सरकार से अनुरोध है कि उन सभी गरीब आदिवासियों को न्याय दिलाने का कष्ट करें। 


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