तनाव से बचें , तनाव में व्हीलचेयर पर पहुंचा सकती है यह बीमारी  

तनाव से बचें , तनाव में व्हीलचेयर पर पहुंचा सकती है यह बीमारी

कोरोना के लॉकडाउन के दौरान आपको घर पर रहना है। बहुत से लोग वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं। ऐसे में कई बीमारियां लोगों को घेर रही हैं। कुछ ऐसे लोग हैं, जिनकी पुरानी बीमारी अब उन्हें अधिक परेशान करने लगी है। 'एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस' भी इन्हीं बीमारियों में से एक है। इस बीमारी से पीड़ित मरीजों में सुबह के समय कमर में दर्द और अकड़न होती है। यह दर्द या अकड़न नब्बे दिन तक लोगों को परेशान कर सकती है। अगर यह और ज्यादा बढ़ती है तो मरीज के व्हीलचेयर पर पहुंचने की संभावना बन जाती है।
मौजूदा महामारी के दौरान इस बीमारी से पीड़ित लोगों को कई तरह के एहतियाती उपायों को अपनी दिनचर्या में शामिल करना पड़ेगा। लॉकडाउन में एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस जैसी क्रॉनिक समस्या के साथ जीने वाले लोगों के लिए इस स्थिति को ध्यान में रखना काफी मुश्किल हो सकता है। एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस (एएस) सूजन की एक समस्या है, जो कि मुख्य रूप से रीढ़ के क्षतिग्रस्त होने का कारण बनती है। यदि इसका इलाज न कराया जाए तो इसके चलते मरीज को चलने-फिरने में परेशानी हो सकती है। समस्या अधिक बढ़ती है तो मरीज को व्हीलचेयर या फिर बिस्तर पर रहने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है। एम्स, नई दिल्ली के डॉ. दानवीर भादू के अनुसार, हम 'एएस' के मरीजों को सलाह देते हैं कि इस समय तनाव न लें।
किसी भी तरह से घबराहट में न रहें। तनाव के कारण पहले से मौजूद 'एएस' की समस्या पर विपरित प्रभाव पड़ सकता है। इस स्थिति को पूरी तरह से संभाला जा सकता है, यदि मरीज रूमेटोलॉजिस्ट से नियमित सलाह और थैरेपी प्लान लें। आमतौर पर 'एएस' को थैरेपी के कॉम्बिनेशन के साथ मैनेज किया जा सकता है, जिसमें फिजियोथैरेपी, योगा, (एनएसएआईडीएस) और बायोलॉजिक्स जैसे दर्द निवारक शामिल हैं।
एएस के इलाज को बेहतर बनाने के श्रेत्र में बायोलॉजिकल थैरेपी एक क्रांति है। अभी तक इस थैरेपी के साथ कोरोना का कोई अतिरिक्त जोखिम नहीं है, इसलिए मरीज अपना इलाज जारी रखें और सेहतमंद रहें। बीमारी के लक्षण:सुबह के समय कमर में दर्द और अकड़न, जो कि 45 मिनट तक बना रह सकता है।कमर दर्द या जोड़ों की अकड़न दवाओं के बावजूद 90 दिनों से ज्यादा समय तक रह सकती है।
कमर, जोड़ों, हिप्स तथा जांघों में एकदम से दर्द का उठना
लॉकडाउन के दौरान 'एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस' का इलाज इस तरह कर सकते हैं...
आम लोगों की तरह ही 'एएस' से पीड़ित लोगों को सोशल डिस्टेंसिंग, हाथों की समुचित सफाई, सेहतमंद जीवनशैली और वर्क फ्रॉम होम (जितना संभव हो) की सलाह दी जाती है।किसी भी प्रकार के डर या घबराहट की वजह से कोई भी दवा लेना न भूलें।'एएस' से पीड़ित लोगों को अपनी नियमित दवाओं के साथ एक्सरसाइज की दिनचर्या को भी जारी रखना चाहिये। हालांकि, सेकंड ओपिनयन की स्थिति में सबसे अच्छा है कि अपने रूमेटोलॉजिस्ट को मूड में किसी भी प्रकार का बदलाव या फर्क आने पर जानकारी दें।'एएस' से पीड़ित जो लोग पहले से ही ये दवाएं ले रहे हैं, वो बायोलॉजिकल थैरेपी को जारी रख सकते हैं।बायोलॉजिक्स को अचानक बंद कर देने से स्थिति और गंभीर हो सकती है।इसलिए हमेशा यह अच्छा होता है कि एक्सपर्ट की सलाह लें।यदि लॉकडाउन या किसी अन्य कारणों से अपने डॉक्टर के पास नहीं जा पा रहे हैं तो अपने डॉक्टर या हॉस्पिटल से टेलीमेडिसिन कंसल्टेंट के बारे में पता करें।कई डॉक्टरों ने टेलीमेडिसिन कंसल्टेंट करना शुरू कर दिया है।सरकार ने टेलीमेडिसिन को लेकर दिशानिर्देश जारी किए हैं।ऐसे में डॉक्टर आपकी मदद कर सकते हैं।एक्सरसाइज नहीं करने और तनाव के बढ़ने से कुछ मरीजों में इस बीमारी के लक्षण बढ़ सकते हैं।रोजाना एक्सराइज की अपनी सेहतमंद आदत जारी रखें, संतुलित आहार लें और तनाव मुक्त रहने की कोशिश करें।इन मुश्किल हालातों में मेडिटेशन और योगा, तनाव को कम करने में मदद कर सकते हैं।यदि मरीजों को त्वचा के नीचे इंजेक्शन लग रहे हैं तो वह अस्पताल जाए बिना भी इसे जारी रख सकते हैं।नर्स या फिर कई बार मरीजों को इन डोजेस को खुद से इंजेक्ट करने की ट्रेनिंग दी जा सकती है।यदि मरीज को इंटरवीनस इंजेक्शन लग रहे हैं तो उन्हें रूमेटोलॉजिस्ट से इलाज कराते हुए अस्पताल ही जाना चाहिये। 


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