उधर सरकार को कुर्सी की चिंता तो इधर धरती पुत्रों को खाद की चिंता ऐसे में कौन ले गरीब धरती पुत्रों की शुद् एक और हमारी राजस्थान सरकार मैं इन दिनों कुर्सी को लेकर काफी रस्साकशी व कुर्सी की होड़ के लिए राजनीतिक दल के जनता द्वारा चुने गए जनप्रतिनिधि ही कुर्सी के खेल में खेल खेलने में अपनी दिलचस्पी दिखा रहे हैं एक ही सरकार के दो मुखिया इस लड़ाई के मैदान में एक दूसरे को पट कनी देने में कोई कसर बाकी नहीं रख रहे हैं नेता कुर्सी के लिए आए दिन अपने वर्चस्व की लड़ाई को जारी रखे हुए हैं ताकि नेताओं को कुर्सी कुर्सी जल्द प्राप्त हो सके लेकिन इन राजनेताओं की लड़ाई के चलते पिछले 1 सप्ताह से यह राजनेता गिल्ली डंडे का खेल खेलने में व्यस्त दिखाई देते नजर आ रहे हैं इनको तो सिर्फ और सिर्फ सत्ता व कुर्सी ही दिखाई दे रही है लेकिन मौजूदा हालात में गरीब धरती पुत्रों को अब खाद की चिंता सताने लगी है आलम यह है कि श्रावण आधा बित चुका है लेकिन बाजारों से मैं लेम्म्स सोसाइटी के माध्यम से आने वाला खाद्य नहीं पहुंचने से धरती पुत्रों के माथे पर चिंता की लकीरें उत्पन्न हो चुकी है आलम यह है कि जो खाद सरकार से 266 पॉइंट ₹50 में धरती पुत्रों को खाद्य सरकार मुहैया कराती है वही खाद आज ₹350 प्रति बोरी इक्का-दुक्का लाइसेंस सुधा दुकानों पर मिलने की हमें जानकारी मिली है हम आपको बता दें कि राजस्थान के बांसवाड़ा जिले के कुशलगढ़ विधानसभा में कुल दो पंचायत समिति 2 खंड कुशलगढ़ व सज्जनगढ़ है दोनों पंचायत समितियों में लगभग 100 के करीब ग्राम पंचायतें है दोनों पंचायत समितियों में बहुत कृषि लेंस सोसाइटी 26 है लेकिन इन सोसाइटी में भी खाद का नहीं पहुंचना बड़ा ही चिंता का विषय है हमने जब किसानों से बात की तो किसानों ने बताया कि अभी श्रावण मास चल रहा है आधा श्रावण गुजर चुका और जुलाई का आधा माह भी बीत चुका फसलों को अब खाद्य की चिंता सता रही है परंतु सरकार खाद्य की समस्या को हल करना तो दूर अब सरकार के नेता ही कुर्सी के लिए अपनी अपनी राजनीतिक रोटियां व गोटिया सेकने में व्यस्त हैं ऐसे में गरीब धरती पुत्रों के खाद की समस्या पर कौन ध्यान दें हमने जब कुछ जानकार लोगों से खाद की किल्लत के लिए संपर्क साधा तो लोगों ने हमें बताया कि पहले कोरोनावायरस फिर किस्सा कुर्सी का और अब समस्या खाद्य की लेकिन सरकार कोरोनावायरस संक्रमण व सरकार अपनी कुर्सी बचाने के लिए मूछों की लड़ाई लड़ रही है परंतु जो गरीब धरतीपुत्र जिन्होंने उन जनप्रतिनिधियों पर विश्वास कर उन्हें सत्ता के सिंहासन पर बिठाया आज वही कुर्सी के लिए लड़ झगड़ रहे हैं लेकिन जिस जनता ने उन्हें अपने बहुमूल्य मत का दान दिया व सत्ता के सिंहासन पर उन नेताओं को बिठाया की हम गरीब धरती पुत्रों पर हमारे द्वारा चुने गए जनप्रतिनिधि सत्ता के गलियारों तक हमारी आवाज बुलंद करेंगे लेकिन मौजूदा हालात में इन दिनों जो राजस्थान में सप्ताह का संग्राम चल रहा है वह किसी से छिपा नहीं है आज के मौजूदा दौर में किसान खाद के लिए दर-दर की ठोकरें खाने को विवस है लेकिन उन जनजाति बाहुल्य क्षेत्र के गरीब धरती पुत्रों की ओर किसी भी सत्ता पक्ष के नेता या विपक्ष के नेता भी धरतीपुत्र के खाद की समस्या से मेहरून क्यों है सत्ता का काम सत्ता बचाने के लिए लेकिन विपक्ष का काम गरीबों की समस्याओं को सरकार तक पहुंचाने का काम होता है लेकिन विपक्ष भी अपना राजधर्म भूल कर किसानों के खाद की समस्या से अनजान व बेफिक्र क्यों है वही प्रशासन को चाहिए कि मौसम अनुसार यदि धरती पुत्रों को समय पर खाद नहीं मिला तो वर्तमान में वही गई फसलों में पैदावार तो कम होगी ही वही भरपूर अनाज नहीं मिल पाने से गरीब की माली हालत और कमजोर होगी सरकार विपक्ष व प्रशासन को चाहिए कि किसानों के हित की समस्या को जल्द से जल्द पूरा कर खाद की किल्लत को दूर करें ताकि धरतीपुत्र के खेतों से अनाज पक कर भरपूर पैदावार प्राप्त करें ताकि धरतीपुत्र खुशहाल हो सके देखना यह होगा कि सरकार व प्रशासन खाद्य की किल्लत को कितने दिन में दूर कर पाता है यह तो वक्त ही बताएगा बस
उधर सरकार को कुर्सी की चिंता तो इधर धरती पुत्रों को खाद की चिंता ऐसे में कौन ले गरीब धरती पुत्रों की शुद्