भरतपुर की नगर निगम सभा में नगर निगम बोर्ड मीटिंग में जयपुर इंदौर भोपाल चंडीगढ़ जैसे बड़े शहरों की तर्ज पर अब भरतपुर के भी 65 से 40 वार्डों में सफाई की पूरी जिम्मेदारी ठेकेदार की होगी

 भरतपुर की नगर निगम सभा में नगर निगम बोर्ड मीटिंग में जयपुर इंदौर भोपाल चंडीगढ़ जैसे बड़े शहरों की तर्ज पर अब भरतपुर के भी 65 से 40 वार्डों में सफाई की पूरी जिम्मेदारी ठेकेदार की होगी







जबकि बाकी 25 वार्डों मैं स्थाई सफाई कर्मी ही काम करेंगे भरतपुर में नगर निगम की बुधवार को हंगामेदार बोर्ड मीटिंग मे 31 पार्षदों केवोट से सफाई व्यवस्था लागू करने का प्रस्ताव पास हो गया इस पर कुछ जबकि कुछ विरोधी 15 पार्षदों ने वोट डालने ही नहीं आए नगर निगम के मेयर अभिजीत कुमार जून से इस प्रस्ताव को पारित कराने के लिए प्रयासरत थे इसके लिए वह 22 पार्षदों को चंडीगढ़ घुमाने भी ले गए लेकिन बोर्ड मीटिंग से 1 दिन पहले यानी मंगलवार रात्रि डिनर पर बुलाकर पार्षदों की समझाइश भी की भाजपा इस प्रस्ताव का शुरू से विरोध कर रही थी यह प्रस्ताव पारित होने के बाद अब सफाई व्यवस्था के लिए टेंडर किए जाएंगे फिर किसी कंपनी को इस काम का ठेका दिया जाएगा इसी प्रकार बुधवार को मीटिंग शुरू होने के साथ इस प्रस्ताव पर काफी बहस और विरोध किया गया विरोधी पार्षदों ने विभिन्न बिंदुओं पर महापौर और आयुक्त को घेरा पार्षद दाऊ दयाल ने भी चंडीगढ़ पार्षदों के टूर पर सवाल खड़े किए उन्होंने अधिकारी किस हैसियत से गए थे उन्होंने कहा इस संबंध में अधिकारियों का कोई आदेश जारी किया था आयुक्त से जवाब देते नहीं नहीं बन रहा था फिर अधिकारी की सफाई देते हुए महापौर अजीत कुमार ने कहा कि श्याम सुंदर गौड़ बोर्ड ने पूछा की 22 पार्षदों के दौरे का खर्च किसने उठाया और कहां कहीं यह खर्च सफाई का ठेके देने वाली कंपनी ने से तो नहीं नहीं कराया गया है इस पर पार्षद सतीश सोगरवाल ने कहा कि हम पार्षद अपनी इच्छा से आए थे इसी प्रकार भरतपुर शहर के बंदरों के आतंक का भी मुद्दा उठा इस पर स्थानीय पार्षद संजय शुक्ला समेत कई पार्षदों ने शहर में बंदरों के आतंक का मुद्दा उठाया महापौर इस पर चुप्पी साधे बैठे रहे आयुक्त से पूछा गया कि जब बंदर पकड़े जा रहे है तो निजात क्यों नहीं मिल रही इतनी जब दो चाहत होने के बाद बोर्ड मीटिंग में वही पारित हुआ जो महापौर अजीत कुमार अपने वार्ड पार्षदों के साथ उन्होंने सोच रखा था लेकिन जिन पार्षदों ने इस पर विरोध किया उनकी एक न सुनी कुल मिलाकर यह रहा जिसकी लाठी उसकी भैंस का चलन चल रहा है भरतपुर की नगर निगम में क्या है यह प्राइवेट संस्थानों को सफाई के ठेका देने के क्या कंपनी को देकर सफाई व्यवस्था दुरुस्त हो सकती है दूसरे शहरों को दिखाते हुए बताया जा रहा है लेकिन ऐसा नहीं लगता कि यह प्रोजेक्ट इस जगह सकते हो सके क्योंकि इससे तो यह मनमानी वाला माहौल लगता है जो पार्षद बनकर नगर निगम में जनता के प्रतिनिधि बनकर पहुंच रहे हैं उनका तो अस्तित्व खत्म हो सकता है फिर सफाई कर्मचारी उनकी क्यों सुनेगा वह तो कंपनी का अधिकारी या ठेकेदार कहेगा तब उनकी बात सुनेगा यानी 4 दिन 5 दिन अगर गंदगी पड़ी रही तो इंतजार करती रही है कि सफाई कंपनी मैसेज डालेगी और फिर सफाई होगी इस तरह के प्रोजेक्ट को कितने लोग फॉलो कर पाएंगे यह देखेंगे देखना अभी बाकी है

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