आमजन से सहयोग की अपील एवं एडवाईजरी जारी की -------

 आमजन से सहयोग की अपील एवं एडवाईजरी जारी की -------








   भरतपुर, 16 अक्टूबर।  मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मनीष चौधरी ने जिले में मौसमी बीमारियों से पीड़ित मरीजों की संख्या में वृद्धि को दृष्टिगत रखते हुए सलाह दी है कि ऐसी परिस्थितियों में सजग रहते हुए विशेषरूप से जागरूक रहने की आवश्यकता है साथ ही इस संबंध में आपसी समन्वय से जन - जागरूकता अभियान चलाने की भी आवश्यकता है | उन्होंने चिकित्सा अधिकारियों को निर्देश दिये कि वे ऐसे रोगी जिसे तेज बुखार , शरीर में जकड़न,  उल्टी से दस्त से ग्रसित होने पर पर अगर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र या सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के किसी चिकित्सक के संपर्क में आए तो तुरंत परीक्षण करने एवं उपलब्ध जांच जैसे सीवीसी, एमपी, डेंगू टेस्ट, किट अथवा एलाइजा से करवाएं और मरीज को पूर्ण आराम की सलाह देवें। जब बुखार है तो उसे एंटीपायरेटिक ड्रग जैसे पेरासिटामोल, ओ आर एस पाउडर , लिक्विड डाइट, नारियल पानी, कीवी फल , छाछ खिचड़ी चावल दाल  इत्यादि का सेवन करने के लिए सलाह दे तथा मरीजों के स्वास्थ्य पर चिकित्सक  पूर्ण निगरानी रखें जब उनके पास एडमिट है तब प्लेटलेट की संख्या 20,000 होने तक आप सीएचसी अथवा पीएचसी पर जनरल कंडीशन अगर सही है तो रख कर इलाज कर सकते हैं और प्लेटलेट संख्या 20000 से ऊपर बनने लग जाती है तो उसे रेफर करने की आवश्यकता नहीं है । जनरल कंडीशन जैसा आप जानते हैं और बिगड़ती है प्लेटलेट  काउंट  20000 से नीचे जाता है उस स्थिति में मरीज को जिला अस्पताल के लिए तुरंत प्रभाव से  रेफर करें और मरीज को अगर  हाई ग्रेड फीवर , उल्टी , शरीर का ठंडा होना, पैर दर्द आदि होने की शिकायत होती है तो आईवी फ्लुएड इत्यादि देवें तथा आराम की आवश्यक सलाह देते हुए नजदीकी रेफरल सेंटर अथवा जिला अस्पताल में भेजें ताकि समय रहते हुए मरीज का समुचित उपचार किया जा सके। डेंगू की संभावना जहां-जहां व्यक्त हो रही है वह मरीजों को अमूल उपचार किया जाये। क्षेत्र में चिकित्सा कर्मी , एएनएम , आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, सी एच ए अथवा सी एच ओ इत्यादि जो कार्य कर रहे हैं वह घरों में जो पानी इकट्ठा है उसको हटवाए तथा रास्ते में या गड्ढों में जो पानी भरा है उस पर एमएलओ डलवाए , एमएलओ बनाने में  केरोसिन व जला हुआ तेल  व डीज़ल का मिक्स्चर होता है उनको एक अनुपात में मिलाने के उपरांत अगर गड्ढे में डाल दिया जाता है तो तो तेल की एक लेयर पानी के ऊपर बन जाती है जिसमें मच्छर के लार्वा ऑक्सीजन/ सांस नहीं ले पाते और वह मर जाते हैं। इसी तरह प्रथम उपाय मच्छरों के लारवा को खत्म करना  है ताकि मच्छर के लार्वा पनपे ही नहीं तो बीमारी आगे बढ़ेगी ही नही। क्षेत्र में जो चिकित्साकर्मी कार्य कर रहे हैं हर ब्लाक में 3या4 फोगिंग मशीनें दी हुई है उनसे प्रतिदिन फोगिंग का कार्य पूर्ण  करें । जहां संभव हो वहां जन-जन को जागरुक करते हुए बीमारी के फैलने के कारण व समाधान के बारे में जानकारी दे और जो भ्रामक जानकारियां है उसको दूर करने का प्रयास करते हुए आवश्यक जानकारी प्रदान करें |

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