सरकारी एंबुलेंस वाले परेशान हैं

 प्रयागराज के बड़े सरकारी अस्सी एसआरएन का यह हाल ही में चेलर और हवील एयर के लिए है।

सुभाष तिवारी लखनऊ

प्रयागराज के स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय (एसआरएन अस्‍पताल) में स्ट्रेचर के अभाव की समस्या कम होने का नाम नहीं ले रही है। इतने बड़े अस्पताल में स्ट्रेचर कुछ गिने-चुने ही होना अपने आप में बड़ा सवाल है। क्योंकि मोतीलाल नेहरू मेडिकल कालेज प्रशासन यह ढिढोरा पीटता है कि चिकित्सा संसाधन यहां लखनऊ के बड़े अस्पतालों जैसे ही बढ़ा दिए गए हैं लेकिन लेकिन स्ट्रेचर और ह्वीलचेयर के नाम पर अस्पताल में अक्सर झगड़े भी होते हैं। वहीं दूसरी ओर सरकारी एंबुलेंस के कर्मचारी इस बात से नाराज हैं कि उनके स्ट्रेचर एसआरएन अस्‍पताल में घंटों फंसाए रखे जाते हैं।


कुंभ व कोरोना संक्रमण में स्ट्रेचर और ह्वीलचेयर मिले थे


एसआरएन एक ऐसा अस्पताल है, जिसमें कुंभ 2019 से लेकर कोरोना वायरस की दूसरी लहर तक सैकड़ों स्ट्रेचर आए। कुंभ 2019 में प्रदेश सरकार ने चिकित्सा संसाधन के लिए जो धनराशि उपलब्ध कराई थी, उससे सभी नए सामान खरीदे गए जिसमें करीब 150 स्ट्रेचर शामिल है। कुंभ की समाप्ति के बाद वह स्ट्रेचर अस्पतालों के सुपुर्द कर दिए गए। इसके अलावा कोरोना की पहली और दूसरी लहर के दौरान अस्पतालों में आई दिक्कतों और जरूरत को देखते हुए विभिन्न समाजसेवी संगठनों ने दर्जनों स्ट्रेचर और ह्वीलचेयर उपलब्ध कराया लेकिन यह सभी सामान कहां चले गए यह बताने वाला कोई नहीं है। वहीं अस्पताल में स्ट्रेचर और ह्वीलचेयर मरीजों को नहीं मिल पा रहे हैं।


सरकारी एंबुलेंस वाले परेशान हैं



एसआरएन में सरकारी एंबुलेंस को मरीजों के इलाज के नाम पर घंटों फसाए रखने की समस्या का समाधान नहीं हो रहा है। 108 एंबुलेंस के प्रोग्राम मैनेजर सुनील कुमार का कहना है कि एंबुलेंस जब मरीजों को लेकर अस्पताल पहुंचती है तो वहां के जूनियर डाक्टर एंबुलेंस की स्ट्रेचर पर मरीज को लिटाए रखते हैं और गाड़ी को रिलीज करने में लेटलतीफी करते हैं। इससे दूसरे मरीजों को परेशानी होती है क्योंकि जरूरत पड़ने पर वहां समय से एंबुलेंस नहीं पहुंच पाती। कहा कि अस्पताल में एंबुलेंस की व्यवस्थाएं बहुत है लेकिन सब कहां गायब है पता नहीं।

टिप्पणियाँ