सस्पेंड भले कर दो लेकिन बांदा मत भेजो,आखिर जेल में खौफ किसका,पोस्टिंग लेने में अधिकारी कर रहे आनाकानी

 सस्पेंड भले कर दो लेकिन बांदा मत भेजो,आखिर जेल में खौफ किसका,पोस्टिंग लेने में अधिकारी कर रहे आनाकानी


सुभाष तिवारी लखनऊ

लखनऊ।उत्तर प्रदेश की जेलों से हाई प्रोफाइल हत्याकांड के मामले सामने आ चुके हैं।जेलों की सुरक्षा पर बड़े सवाल खड़े होते रहे हैं। 6 अप्रैल 2021 की सुबह 4 बजे पंजाब की रोपड़ जेल से मुख्तार अंसारी को कड़ी सुरक्षा के साथ बांदा जेल लाया गया था।मुख्तार को बैरक नंबर-16 में शिफ्ट किया गया था। अब ये हालत है कि बांदा जेल कोई भी अधिकारी पोस्ट होने के लिए तैयार नहीं हो रहा है।


वैसे उत्तर प्रदेश की जेलों की सुरक्षा किसी से छिपी हुई नहीं हैं।पश्चिमी यूपी की बागपत जेल में मुन्ना बजरंगी की हत्या। चित्रकूट जेल में मुकीम काला की हत्या,अंशु दीक्षित की हत्या,मुख्तार के आदमी मेराज की हत्या। यूपी की जेलों में हुआ ये हाई प्रोफाइल हत्याकांड के बाद से बराबर सुरक्षा पर सवाल खड़े होता रहा हैं।इस समय यूपी की सबसे संवेदनशील जेल बांदा है। बांदा जेल में अब कोई भी अधिकारी पोस्ट नहीं होना चाहता है।चर्चा है कि अधिकारी अफसरों के सामने कह रहे हैं कि भले सस्पेंड कर दो लेकिन बांदा मत भेजो।आखिर किसका खौफ है जो अधिकारी बांदा जेल में पोस्ट नहीं होना चाहते हैं।


आपको बता दें कि पिछले आठ माह से बांदा की सीनियर सुपरिंटेंडेंट रैंक अधिकारी वाली जेल को अब जेलर के भरोसे चल रही है। तीन अधिकारियों को पोस्ट किया गया था,लेकिन तीनों अधिकारियों ने ज्वाइन नहीं किया। मुख्तार को जब से बांदा जेल शिफ्ट किया है तब से बांदा जेल अति संवेदनशील जेलों में शुमार है।


बांदा जेल मंडलीय कारागार है।इस जेल में जेलर नहीं बल्कि सीनियर सुपरिंटेंडेंट रैंक का वरिष्ठ अधिकारी की ही पोस्टिंग होगी,मगर इतनी संवेदनशील जेल एक जेलर और दो डिप्टी जेलर के भरोसे हैं।मुख्तार के बांदा जेल पहुंचने के बाद शासन ने तीन अफसरों को जेल अधीक्षक के पद पर भेजा लेकिन तीनों ने ज्वाइन नहीं किया।


मुख्तार को बांदा जेल लाने की प्रक्रिया शुरू होते ही जेलर रंजीत कुमार सिंह 17 अक्टूबर 2020 से अनुपस्थित हो गए।यही कारण थी कि हमीरपुर के जेलर पीके त्रिपाठी को बीते साल 19 अक्टूबर से मुख्तार के बांदा जेल पहुंचने तक भेजा गया।मुख्तार के बांदा जेल पहुंचने पर उन्नाव से एके सिंह को जेल अधीक्षक बनाकर बांदा भेजा गया।


 मुख्तार के बांदा जेल पहुंचने के बाद बीते साल 17 मई को एके सिंह ने जेल अधीक्षक के पद पर ज्वाइन तो किया लेकिन पांच माह बाद ही मेडिकल पर चले गए। लगातार 2- 2 सप्ताह का मेडिकल बढ़वाते रहे।शासन ने बीते साल 23 दिसंबर को एके सिंह को लखनऊ ट्रेनिंग मुख्यालय पर ट्रांसफर करना पड़ा।


 

शासन ने बरेली जेल अधीक्षक विजय विक्रम सिंह को बांदा का जेल अधीक्षक बनाया,लेकिन विजय विक्रम सिंह ने ज्वाइन नहीं किया और ये भी बीमार होकर मेडिकल पर चले गए,फिर शासन ने बीते साल 29 दिसंबर को विजय विक्रम सिंह को सस्पेंड कर दिया। 30 दिसंबर को ही विजय विक्रम को प्रमोशन लिस्ट से भी बाहर कर दिया।


हाल ही में जेल मुख्यालय की तरफ से लखनऊ जेल अधीक्षक आशीष तिवारी का नाम शासन में बांदा जेल अधीक्षक के लिए भेजा गया। सूत्रों से खबर है कि आशीष तिवारी ने भी बांदा जाने से न कर दिया है और जेल अधीक्षक के प्रपोजल को वापस कर दिया है।


बांदा जेल में जेल अधीक्षक की तैनाती नही हो पाने पर अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी ने कहा कि बांदा जेल में कोई कामकाज प्रभावित नहीं हो रहा है।जेल की सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह से पुख्ता है।जेल अधीक्षक स्तर के अफसरों की कमी की वजह से कई जेल बिना अधीक्षक के हैं, अगली बार जब प्रमोशन होगा तो यह कमी पूरी हो जाएगी।

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