मायावती अब भाजपा के खिलाफ क्यों हो रहीं आक्रामक,योगी को हराने के लिए की अपील

 *मायावती अब भाजपा के खिलाफ क्यों हो रहीं आक्रामक,योगी को हराने के लिए की अपील 


सुभाष तिवारी लखनऊ

लखनऊ।उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव का रण अपने समापन की ओर बढ़ रहा है।अब छठवें और सातवें चरण का भीषण रण होना है।दो चरण के रण को लेकर सभी पार्टियां चुनाव प्रचार में पूरी ताकत झोंक दी हैं।इसी दौरान बसपा मुखिया मायावती ने भाजपा पर तीखा हमला बोला दिया है।


 बहुजन समाज पार्टी की मुखिया व पूर्व मुख्यमंत्री मायावती चुनावी रण का आधा मैदान पार करने के बाद अचानक भारतीय जनता पार्टी पर तीखा हमला दिया है। उन्होंने पहले चरण के रण से लेकर चौथे चरण के रण तक केवल आठ बार राजनीतिक बयान जारी किए थे,लेकिन अचानक भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ आक्रामक हो गई हैं।पहले चार चरणों के रण में समाजवादी पार्टी के खिलाफ ज्यादा आक्रामक रहीं।अब उन्होंने अपने दलित और मुस्लिम मतदाताओं से गोरखपुर में ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हराने की अपील कर सबको अचंभित कर दिया है।


बसपा मुखिया ने योगी सरकार पर मुसलमानों के साथ भेदभाव करने का गंभीर आरोप लगाते हुए पूरे चुनाव में पहली बार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर सीधा हमला बोला हैं।उनका मुख्यमंत्री के खिलाफ ये रवैया हैरान करने वाला है।वो इस चुनावी रण में पहली बार भारतीय जनता पार्टी के बड़े नेताओं के खिलाफ आक्रामक नजर आई हैं।अभी तक वो समाजवादी पार्टी के मुखिया व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के खिलाफ ज्यादा आक्रामक नजर आ रही थीं,क्या ये उनकी बदली चुनावी रणनीति है,या कोई मजबूरी है या फिर खुद को और अपनी पार्टी को चुनाव में प्रासंगिक बनाए रखने की कोशिश है।


बसपा मुखिया ने शनिवार को दावा किया कि उनकी पार्टी के चुनाव चिह्न हाथी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जगाए रखा है।योगी हर भाषण में हाथी का जिक्र करते हैं।बसपा मुखिया ने सीएम योगी पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि योगी जी को उनके गणित में उनके परिवार के पास वापस भेज दो।उन्होंने बड़े-बड़े वादे किए थे,लेकिन कुछ नहीं किया।'अपनी जातिवादी संकीर्णता के कारण उन्होंने अनुसूचित जाति, जनजाति और अत्यंत पिछड़े लोगों के विकास की उपेक्षा की, मुस्लिम समुदाय के विकास पर ध्यान नहीं दिया और मुसलमानों के प्रति द्वेष की भावना से उन्हें फर्जी मामलों में फंसाकर नष्ट करने और नष्ट करने का हर संभव प्रयास किया है।गौरतलब है कि छठवें चरण के रण में गोरखपुर में 3 मार्च को मतदान होगा।मुख्यमंत्री गोरखपुर शहर की सीट से चुनाव लड़ रहे हैं।


बसपा मुखिया ने योगी सरकार पर कानून व्यवस्था में सुधार के नाम पर बड़े पैमाने पर मुसलमानों पर अत्याचार करने का आरोप लगाया और पहली बार सीएम योगी और उनकी सरकार के मुस्लिम विरोधी रवैये पर जमकर बरसीं।उन्होंने कहा कि उनके पास कहने और बोलने के लिए कुछ नहीं है, वे कहते हैं कि हमने कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए इतने सारे मुसलमानों के खिलाफ कार्रवाई की है,लेकिन जो गैर-मुस्लिम माफिया हैं, उन्हें कभी नजर नहीं आता,नेपाल सीमा पर देवीपाटन गैर-मुस्लिम माफियाओं से भरा है, क्या उन्हें नहीं दिखता,वे उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं करते,वे केवल मुस्लिम समुदाय और कमजोर वर्ग के लोगों को देखते हैं। ये लोग उन्हें अपराधी के रूप में देखते हैं।उन्होंने कहा कि अगर एक व्यक्ति ने अपराध किया है तो पूरे समाज को उसकी सजा नहीं मिलनी चाहिए,अगर एक व्यक्ति बुरा है तो क्या पूरे मुस्लिम समाज को संदेह की दृष्टि से देखा जाएगा, यह ठीक नहीं है।


आपको बता दें कि बसपा मुखिया ने पांचवें चरण के रण से पहले अपने और अपनी पार्टी के भारतीय जनता पार्टी के साथ गुप्त समझौते के आरोपों पर भी सफाई दी है,या यूं कहा जाए कि उन्हें इस मुद्दे पर सफाई देने पर मजबूर होना पड़ा है।इस बार चुनावी रण में बसपा मुखिया मायावती का भारतीय जनता पार्टी के प्रति सॉफ्ट कॉर्नर देखकर बहुजन समाज पार्टी को भारतीय जनता पार्टी की बी टीम कहा जा रहा है।इस पर उन्होंने शनिवार को सफाई देते हुए पलटवार करते हुए सवाल किया कि अगर बसपा भाजपा की बी टीम थी तो सपा और कांग्रेस ने पार्टी के साथ मिलकर चुनाव क्यों लड़ा।दलितों और मुसलमानों की स्थिति को लेकर गृह मंत्री के बसपा के बयान के बाद मीडिया और विरोधियों ने उनकी पार्टी को भाजपा की बी टीम कहना शुरू कर दिया है। उन्होंने इस आरोप को बेबुनियाद बताते हुए उल्टा सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव को भाजपा से मिलीभगत के कटघरे में खड़ा कर दिया।


बसपा मुखिया मायावती ने सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव पर भाजपा की मदद करने का आरोप लगाते हुए कहा कि मुसलमानों ने मुलायम सिंह को वोट दिया और उन्हें कई बार मुख्यमंत्री बनाया,लेकिन मुलायम सिंह ने लोकसभा में मोदी को फिर से प्रधानमंत्री बनने का आशीर्वाद देकर भाजपा की मदद की।उन्होंने आगे बढ़कर कहा कि 2003 में जब भाजपा के साथ उनकी गठबंधन सरकार गिर गई तो मुलायम सिंह यादव ने तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का आशीर्वाद लेकर भाजपा और कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाई और साथ ही याद दिलाया कि कैसे मुलायम सिंह ने कल्याण सिंह को गले लगाया था।

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