भागोडीह में महिला स्व. सहायता समूह को दिया प्रशिक्षण



 भागोडीह में महिला स्व. सहायता समूह को दिया प्रशिक्षण


मानवाधिकार एवं आरटीआई जागरूकता संगठन,भारत के प्रदेश प्रभारी-पुष्पेन्द्र कुमार  शामिल 


जांजगीर / ग्राम-भागोडीह (बाराद्वार) में सीएससी (डीएम-जांजगीर) संतोष सितारे द्वारा आराध्य महिला स्व. सहायता समूह को  CSC महिला ग्राम स्तरीय उद्धमी-योजना के तहत सेनिटरी पैड निर्माण का प्रशिक्षण दिया गया, यह महिला समूह के विकास के लिए CSC द्वारा चलाया गया योजना है जिसमे (स्त्री स्वाभिमान) के ब्रांड नाम से स्वदेशी सेनिटरी पैड उत्पादन मशीन कम कीमत पर उपलब्ध कराया जाता है जो की भारत सरकार की योजना लोकल टू व्होकल तथा महिला सशक्तिकरण को गति देती है| सितारे ने प्रशिक्षण देते हुए बताया कि कई बार झिझक के कारण ग्रामीण महिलाएं दुकानों से सेनेटरी नैपकिन नहीं ले पाती हैं। महिलाओं की असुविधा को देखते हुए  महिलाएं व छात्राएं अपने स्वास्थ्य के प्रति लापरवाह बनीं रहती हैं, जिससे अधिकांश महिलाएं ल्यूकोरिया की बीमारी से त्रस्त हैं। चूंकि जागरूकता की कमी होने के कारण महिलाएं माहवारी के दौरान गंदे कपड़े का इस्तेमाल करती हैं और संक्रमण सहित अनेक बीमारियों की चपेट में आ जाती हैं। फंगल इन्फेक्शन या यूरिन इन्फेक्शन  के विकास के जोखिम को कम करने के लिए मासिक धर्म (पीरियड्स) के दौरान सैनिटरी पैड का इस्तेमाल किया जाना फायदेमंद होता है। सेनेटरी नैपकिन या पैड महिलाओं को पीरियड्स के दौरान सुरक्षा का अनुभव कराता है, जिसके कारण वह मासिसक धर्म में भी बाहर जा सकती हैं और काम काज में अपना सहयोग प्रदान कर सकती हैं। इसके अलावा भी सेनेटरी पैड के फायदे हैं सैनिटरी पैड अवशोषक सामग्री  से बना एक ऐसा पैड, जो महिलाओं के मासिक धर्म (पीरियड्स) के दौरान खून और तरल पदार्थों को सोखने के लिए पैंटी के अन्दर इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा इस पैड को सैनिटरी नैपकिन या मेंस्ट्रुअल पैड भी कहा जाता है। माहवारी के समय खून के प्रवाह तथा संक्रमण के खतरे को कम करने के लिए यह बेहद उपयोगी होता है। वर्तमान में अनेक प्रकार के सैनिटरी पैड उपलब्ध हैं जिनमें ज्यादातर डिस्पोजेबल होते हैं और इनका उपयोग केवल एक बार किया जा सकता है। जबकि कुछ सैनिटरी पैड कपड़े के भी बने होते हैं जिन्हें कई बार धोया, सुखाया और पुन: उपयोग किया जा सकता है। इसके अलावा तरल सोखने की क्षमता के आधार पर भी पैड भिन्न-भिन्न होते हैं। प्रशिक्षण में समूह की अध्यक्ष- मोती देवी, सचिव-रजनी देवी, लेखापाल-रुखमनी देवी व सदस्य-नर्मदा सूर्यवंशी, कृष्णा देवी, खीरबाई, अल्का देवी, मंजू देवी, त्रिवेणी, केकती, फोटोबाई, कैलाशा, सियाबाई व राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं आरटीआई जागरूकता संगठन,भारत के प्रदेश प्रभारी-पुष्पेन्द्र कुमार तथा सीएससी बन्धु दीनानाथ सिंह,नरोत्तम उपस्थित थे|

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