एशियन डेवलपमेंट बैंक के सहयोग से छत्तीसगढ़ स्टेट रोड सेक्टर प्रोजेक्ट के अंतर्गत निर्माणाधीन जैजैपुर मालखरौदा गोबरा भांठा के मुहावजा आवंटन में करोड़ों का घोटाला

 एशियन डेवलपमेंट बैंक के सहयोग से छत्तीसगढ़ स्टेट रोड सेक्टर प्रोजेक्ट के अंतर्गत निर्माणाधीन जैजैपुर मालखरौदा गोबरा भांठा के मुहावजा आवंटन में करोड़ों का घोटाला




राजस्व तथा लोक निर्माण विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों की आपसी सांठगांठ से फर्जी भू स्वामियों को करोड़ों का भुगतान ?


पूर्ववर्ती भाजपा सरकार में हुए डामर घोटाले की हाई कोर्ट द्वारा दिए गए उच्च स्तरीय जांच के आदेश की फाइल गायब


एस ओ आर (शेड्यूल आफ रेट) पर निविदा स्वीकृति का मामला भी ठंडे बस्ते में


जांजगीर/ एशियन डेवलपमेंट बैंक से लोन लेकर 115 करोड़ की लागत से छत्तीसगढ़ स्टेट रोड सेक्टर प्रोजेक्ट के तहत बनाए जा रहे जैजैपुर मालखरौदा छोटे सीपत फरस्वानी गोबरा भांठा सड़क निर्माण में भारी पैमाने पर हो रहे भ्रष्टाचार की खबरें प्रकाशित की थी । इसी सड़क निर्माण के लिए किसानों तथा निजी भू स्वामियों से अधिग्रहित की गई जमीनों पर दिए जा रहे मुआवजे ने लोक निर्माण तथा राजस्व विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों अधिकारियों की पोल खोल कर रख दी है । इनमें से कई किसान तथा भू स्वामी ऐसे भी हैं, जिनके नाम पर जमीन ही नहीं है, उन्हें भी 5 लाख से 17 लाख रूपए तक मुआवजा दिया गया है । इसके अलावा मुआवजा पाने वालों में एक बड़ी संख्या सरायपाली रियासत की जमीन पर बेजा कब्जा करके उस पर स्थाई निवास बना चुके फर्जी स्वामियों की भी है । एक सुगम सड़क मार्ग के लिए 2017 से तरस रहे मालखरौदा तथा जैजैपुर अंचल के ग्रामीणों के लिए यह मार्ग किसी त्रासदी से कम नहीं है

यदि मुआवजा पाने वालों की जमीनों के सरकारी रिकॉर्ड खंगाले जाएं, तो प्रोजेक्ट से जुड़े कई अधिकारियों पर निलंबन की गाज गिरना तय है । इस बात में कोई दो राय नहीं हो सकती है कि पूर्ववर्ती भाजपा सरकार में भी एशियन डेवलपमेंट बैंक से कर्ज लेकर बनाई जा रही कई स्वीकृत परियोजनाएं भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुकी है । ऐसा लगता है, जैसे प्रदेश के लोक निर्माण तथा राजस्व विभाग के आला अधिकारी बिना रिश्वत खाए,बिना घोटाला किए शांत बैठे नहीं रह सकते । एशियन डेवलपमेंट बैंक से कर्ज लेकर घी पीने वालों में पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के वे तमाम आला अधिकारी शामिल बताए जाते हैं, जिन की पांचों उंगलियां भूपेश राज में भी घी में और सिर कड़ाही में है । पिछली सरकार में जब लोक निर्माण विभाग में टेंडर की दरें 15 फ़ीसदी से 25 फ़ीसदी नीचे चल रही थी, तब एशियन डेवलपमेंट बैंक से कर्ज लेकर 40 फ़ीसदी अधिक दर पर टेंडर स्वीकृत किए गए । यह आंकड़ा 11 हजार करोड़ से ऊपर का बताया जाता है । लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों तथा उनके चहेते ठेकेदारों की आपसी सांठगांठ की बुनियाद पर शासन को लाखों की क्षति हुई थी । इससे पहले भी 2012-13 में भाजपा राज में लोक निर्माण विभाग मंत्री के इशारे पर 5 फ़ीसदी तक स्वीकृत निविदा, एशियन डेवलपमेंट बैंक लोन 2 के तहत जारी 2400 करोड़ की निविदा पर 35 से 40 फ़ीसदी अधिक दर पर स्वीकृत की गई । मजे की बात यह है कि निविदा मिट्टी के कार्यों के लिए स्वीकृत की गई थी, ताकि मिट्टी के घुलकर बह जाने की चोरी पकड़ी न जा सके ।

राज्य सरकार में ऊंचे पदों पर बैठे हुकरान अपने निजी फायदे के लिए कनिष्ठ व अनुभवहीन अधिकारियों को प्रभारी बनाकर भारी भ्रष्टाचार तथा आर्थिक घोटालों को अंजाम देते रहे हैं । अपने प्रबुद्ध पाठकों की जानकारी के लिए बता दें कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना तथा छत्तीसगढ़ राज्य सड़क विकास अभिकरण में प्रभार वाद के खिलाफ सबसे पहले अमर साधना ने खबर प्रकाशित की थी । छ.ग शासन सामान्य प्रशासन विभाग मंत्रालय महानदी भवन नया रायपुर के क्र. एफ 9_2/2011/1/3 दिनांक 14/07/ 2014 के माध्यम से अपर मुख्य सचिव/ प्रमुख सचिव/ सचिव को जारी ज्ञापन में स्पष्ट निर्देश दिए गए थे कि विभागों में रिक्त वरिष्ठ पदों का चालू प्रभार संवर्ग के वरिष्ठ अधिकारियों को बिना किसी युक्तियुक्त प्रशासकीय कारण से बाईपास करते हुए कनिष्ठ अधिकारियों को न सौंपा जाए । जिन विभागों में इस तरह के कनिष्ठ अधिकारी वरिष्ठ पदों के प्रभार में है,उन्हें प्रशासकीय विभाग /विभागाध्यक्ष द्वारा तत्काल भार मुक्त किया जाकर वरिष्ठ एवं योग अधिकारियों को ही प्रभार दिया जाए ।

तत्कालीन मुख्य सचिव विवेक ढांड द्वारा जारी ज्ञापन में साफ-साफ कहा गया था कि उक्त निर्देशों के पालन के उल्लंघन के समस्त मामले (अधिकारीवार) सूचीबद्ध कर मेरे कार्यालय को 20 जनवरी 2015 तक भेजें । परंतु लतखोरी व घूसखोरी की आदत से मजबूर एस डी ओ से लेकर प्रभारी मुख्य अभियन्ता तक,सत्ता परिवर्तन होने से पहले तक उन्हीं जगहों पर जमे रहे । सत्ता परिवर्तन होने के बाद अन्य महकमें में लंबे समय से अंगद के पैर की तरह जमे अधिकारियों को इधर से उधर किया गया, परंतु लोक निर्माण विभाग में प्रभारवाद की जड़े काफी गहरी है, इसी प्रभारवाद के चलते टेंडर से लेकर निर्माण कार्यों में बड़े घोटालों को अंजाम दिए जाते है । दरअसल प्रावधानों के खिलाफ प्रभारी बनाए गए ज्यादातर अधिकारी बड़े घोटालों के मास्टरमाइंड बताए जाते हैं । रिश्वतखोरी का वायरस उनके डीएनए में किसी खानाबदोश की तरह घुसा हुआ है । प्रभार वाले विभागों में घोटाला कर मूल विभाग में लौट कर खुद को बेचारा और निर्दोष जाहिर करने वाले अधिकारियों की एक लंबी फेहरिस्त है, मोटे कमीशन की लालच में जिनका बचाव खुद महकमें के मंत्री करते हैं । एशियन डेवलपमेंट बैंक प्रोजेक्ट के परियोजना निदेशक सहित मुख्य अभियन्ता वगैरह तक लोक निर्माण विभाग के अपने मूल विभाग से आयात किए गए हैं,जो टेंडर में एस ओ आर रेट तथा मुआवजा राशि का निर्धारण करते हैं । छ ग स्टेट रोड सेक्टर प्रोजेक्ट के अंतर्गत ए डी बी से कर्ज लेकर बनाए जा रहे सड़क निर्माण व अधिकांश कार्य योजनाओं पर भ्रष्टाचार की मोहर लगी हुई है राज्य सरकार द्वारा लिए गए कर्ज को दीमक की तरह चाट रहे महकमे के आला अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के अलावा उनकी संपत्तियों की यदि बारीकी से जांच की जाए, तो एक बड़े आर्थिक घोटाले का पर्दाफाश होना तय है ।


राजस्व तथा लोक निर्माण विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों की आपसी सांठगांठ से फर्जी भू स्वामियों को करोड़ों का भुगतान ?


पूर्ववर्ती भाजपा सरकार में हुए डामर घोटाले की हाई कोर्ट द्वारा दिए गए उच्च स्तरीय जांच के आदेश की फाइल गायब


एस ओ आर (शेड्यूल आफ रेट) पर निविदा स्वीकृति का मामला भी ठंडे बस्ते में


जांजगीर/ एशियन डेवलपमेंट बैंक से लोन लेकर 115 करोड़ की लागत से छत्तीसगढ़ स्टेट रोड सेक्टर प्रोजेक्ट के तहत बनाए जा रहे जैजैपुर मालखरौदा छोटे सीपत फरस्वानी गोबरा भांठा सड़क निर्माण में भारी पैमाने पर हो रहे भ्रष्टाचार की खबरें प्रकाशित की थी । इसी सड़क निर्माण के लिए किसानों तथा निजी भू स्वामियों से अधिग्रहित की गई जमीनों पर दिए जा रहे मुआवजे ने लोक निर्माण तथा राजस्व विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों अधिकारियों की पोल खोल कर रख दी है । इनमें से कई किसान तथा भू स्वामी ऐसे भी हैं, जिनके नाम पर जमीन ही नहीं है, उन्हें भी 5 लाख से 17 लाख रूपए तक मुआवजा दिया गया है । इसके अलावा मुआवजा पाने वालों में एक बड़ी संख्या सरायपाली रियासत की जमीन पर बेजा कब्जा करके उस पर स्थाई निवास बना चुके फर्जी स्वामियों की भी है । एक सुगम सड़क मार्ग के लिए 2017 से तरस रहे मालखरौदा तथा जैजैपुर अंचल के ग्रामीणों के लिए यह मार्ग किसी त्रासदी से कम नहीं है

यदि मुआवजा पाने वालों की जमीनों के सरकारी रिकॉर्ड खंगाले जाएं, तो प्रोजेक्ट से जुड़े कई अधिकारियों पर निलंबन की गाज गिरना तय है । इस बात में कोई दो राय नहीं हो सकती है कि पूर्ववर्ती भाजपा सरकार में भी एशियन डेवलपमेंट बैंक से कर्ज लेकर बनाई जा रही कई स्वीकृत परियोजनाएं भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुकी है । ऐसा लगता है, जैसे प्रदेश के लोक निर्माण तथा राजस्व विभाग के आला अधिकारी बिना रिश्वत खाए,बिना घोटाला किए शांत बैठे नहीं रह सकते । एशियन डेवलपमेंट बैंक से कर्ज लेकर घी पीने वालों में पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के वे तमाम आला अधिकारी शामिल बताए जाते हैं, जिन की पांचों उंगलियां भूपेश राज में भी घी में और सिर कड़ाही में है । पिछली सरकार में जब लोक निर्माण विभाग में टेंडर की दरें 15 फ़ीसदी से 25 फ़ीसदी नीचे चल रही थी, तब एशियन डेवलपमेंट बैंक से कर्ज लेकर 40 फ़ीसदी अधिक दर पर टेंडर स्वीकृत किए गए । यह आंकड़ा 11 हजार करोड़ से ऊपर का बताया जाता है । लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों तथा उनके चहेते ठेकेदारों की आपसी सांठगांठ की बुनियाद पर शासन को लाखों की क्षति हुई थी । इससे पहले भी 2012-13 में भाजपा राज में लोक निर्माण विभाग मंत्री के इशारे पर 5 फ़ीसदी तक स्वीकृत निविदा, एशियन डेवलपमेंट बैंक लोन 2 के तहत जारी 2400 करोड़ की निविदा पर 35 से 40 फ़ीसदी अधिक दर पर स्वीकृत की गई । मजे की बात यह है कि निविदा मिट्टी के कार्यों के लिए स्वीकृत की गई थी, ताकि मिट्टी के घुलकर बह जाने की चोरी पकड़ी न जा सके ।

राज्य सरकार में ऊंचे पदों पर बैठे हुकरान अपने निजी फायदे के लिए कनिष्ठ व अनुभवहीन अधिकारियों को प्रभारी बनाकर भारी भ्रष्टाचार तथा आर्थिक घोटालों को अंजाम देते रहे हैं । अपने प्रबुद्ध पाठकों की जानकारी के लिए बता दें कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना तथा छत्तीसगढ़ राज्य सड़क विकास अभिकरण में प्रभार वाद के खिलाफ सबसे पहले अमर साधना ने खबर प्रकाशित की थी । छ.ग शासन सामान्य प्रशासन विभाग मंत्रालय महानदी भवन नया रायपुर के क्र. एफ 9_2/2011/1/3 दिनांक 14/07/ 2014 के माध्यम से अपर मुख्य सचिव/ प्रमुख सचिव/ सचिव को जारी ज्ञापन में स्पष्ट निर्देश दिए गए थे कि विभागों में रिक्त वरिष्ठ पदों का चालू प्रभार संवर्ग के वरिष्ठ अधिकारियों को बिना किसी युक्तियुक्त प्रशासकीय कारण से बाईपास करते हुए कनिष्ठ अधिकारियों को न सौंपा जाए । जिन विभागों में इस तरह के कनिष्ठ अधिकारी वरिष्ठ पदों के प्रभार में है,उन्हें प्रशासकीय विभाग /विभागाध्यक्ष द्वारा तत्काल भार मुक्त किया जाकर वरिष्ठ एवं योग अधिकारियों को ही प्रभार दिया जाए ।

तत्कालीन मुख्य सचिव विवेक ढांड द्वारा जारी ज्ञापन में साफ-साफ कहा गया था कि उक्त निर्देशों के पालन के उल्लंघन के समस्त मामले (अधिकारीवार) सूचीबद्ध कर मेरे कार्यालय को 20 जनवरी 2015 तक भेजें । परंतु लतखोरी व घूसखोरी की आदत से मजबूर एस डी ओ से लेकर प्रभारी मुख्य अभियन्ता तक,सत्ता परिवर्तन होने से पहले तक उन्हीं जगहों पर जमे रहे । सत्ता परिवर्तन होने के बाद अन्य महकमें में लंबे समय से अंगद के पैर की तरह जमे अधिकारियों को इधर से उधर किया गया, परंतु लोक निर्माण विभाग में प्रभारवाद की जड़े काफी गहरी है, इसी प्रभारवाद के चलते टेंडर से लेकर निर्माण कार्यों में बड़े घोटालों को अंजाम दिए जाते है । दरअसल प्रावधानों के खिलाफ प्रभारी बनाए गए ज्यादातर अधिकारी बड़े घोटालों के मास्टरमाइंड बताए जाते हैं । रिश्वतखोरी का वायरस उनके डीएनए में किसी खानाबदोश की तरह घुसा हुआ है । प्रभार वाले विभागों में घोटाला कर मूल विभाग में लौट कर खुद को बेचारा और निर्दोष जाहिर करने वाले अधिकारियों की एक लंबी फेहरिस्त है, मोटे कमीशन की लालच में जिनका बचाव खुद महकमें के मंत्री करते हैं । एशियन डेवलपमेंट बैंक प्रोजेक्ट के परियोजना निदेशक सहित मुख्य अभियन्ता वगैरह तक लोक निर्माण विभाग के अपने मूल विभाग से आयात किए गए हैं,जो टेंडर में एस ओ आर रेट तथा मुआवजा राशि का निर्धारण करते हैं । छ ग स्टेट रोड सेक्टर प्रोजेक्ट के अंतर्गत ए डी बी से कर्ज लेकर बनाए जा रहे सड़क निर्माण व अधिकांश कार्य योजनाओं पर भ्रष्टाचार की मोहर लगी हुई है राज्य सरकार द्वारा लिए गए कर्ज को दीमक की तरह चाट रहे महकमे के आला अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के अलावा उनकी संपत्तियों की यदि बारीकी से जांच की जाए, तो एक बड़े आर्थिक घोटाले का पर्दाफाश होना तय है ।

टिप्पणियाँ