चार्टर्ड एकाउंटेंट्स, कॉस्ट एण्ड वर्क्स अकाउंटेंट्स और कंपनी सेक्रेटरीज संशोधन बिल जैसे हर गलत फैसले का पुरजोर विरोध कर केन्द्र को झूकायेंगे - नीरज डाँगी
चार्टर्ड एकाउंटेंट्स, कॉस्ट एण्ड वर्क्स अकाउंटेंट्स और कंपनी सेक्रेटरीज संशोधन बिल जैसे हर गलत फैसले का पुरजोर विरोध कर केन्द्र को झूकायेंगे - नीरज डाँगी

आबूरोड। राज्यसभा सांसद नीरज डाँगी ने सदन में चार्टर्ड एकाउंटेंट्स, कॉस्ट एण्ड वर्क्स अकाउंटेंट्स और कंपनी सेक्रेटरीज (संशोधन) बिल 2022 पर कांग्रेस पार्टी की ओर से बहस भाषण में बोलते हुए कहा कि बिल में अनुशासन बोर्ड/समिति में पांच सदस्य होते थे जिनमें से तीन सदस्य इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया से एवं दो सरकारी नामित होते थे। परन्तु प्रस्तावित बिल में अब सरकार द्वारा अनुशासन बोर्ड/समिति में दो सरकारी नामितों की संख्या बढाकर तीन कर दी गई है जिससे लेखों से अनभिज्ञ (Non-CA) सदस्यों की नियुक्ति एवं पीठासीन अधिकारी बनाये जाने से अनुशासन समिति ढांचे को मजबूत करने एवं मामलों के त्वरित निपटान के उद्देश्य से हटने व सरकारी हस्तक्षेप बढाने से स्वतंत्र कामकाज का प्रभावित होना स्वाभाविक है। केन्द्र सरकार का अनुशासनिक समिति व बोर्ड ढाँचे में बदलाव हेतु बिल लाने का मूल उद्देश्य सरकार व बाहरी प्रतिनिधित्व बढाने का रहेगा। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार कितनी भी मनमानी कर देश को चलाने की कोशिश करें, हम इनके हर गलत फैसले का पुरजोर विरोध करेंगे और सरकार को झुकने पर मजबूर कर देंगे। सांसद नीरज डॉगी ने सदन में इस बिल पर बहस के दौरान कहा कि आईसीएआई और अनुशासन समिति जो इस संस्थान की ही एक शाखा है प्रस्तावित बिल से अनुशासन समिति ढांचे के स्वतंत्र उद्देश्य को पूरा नहीं किया जा सकता है क्योंकि इसमें बाहरी व सरकारी सदस्यों का प्रतिनिधित्व अधिक होगा तो इसके द्वारा किये जाने वाले निपटान व फैसले पर भी विपरीत प्रभाव पड़ेगा और मामलों के निपटान में देरी तथा प्रभावित होने की संभावना रहेगी। उन्होंने कहा कि ICAI की कठिनतम परीक्षा से निकले CA विश्व में अपना अलग मानक रखते हैं इन पर सरकारी व बाहरी प्रतिनिधित्व का नियंत्रण होना अनुचित होगा। उन्होंने कहा कि सीए अधिनियम के तहत कौंसिल का अध्यक्ष इसका मुख्य कार्यकारी अधिकारी हो है सीडब्ल्यूए-अधिनियम और सीएस अधिनियम के अनुसार संबंधित कौंसिलों के अध्यक्ष केवल उनके मुखिया होते हैं दोनों कौंसिल प्रशासनिक कार्यों को करने के लिये संबंधित कौंसिल या संस्थान के एक अधिकारी को मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में मनोनीत करती है जबकि विधेयक में यह निर्दिष्ट करने के लिये सीए अधिनियम में संशोधन करने का प्रस्ताव है कि अध्यक्ष कौंसिल का मुखिया होगा। विधेयक तीनों परिषदों के संबंधित अध्यक्षों को यह जिम्मेदारी देने का प्रयास करता है कि कौंसिल द्वारा लिये गये निर्णय यथावत लागू हों साथ ही यह भी प्रावधान करता कि कौंसिल के संबंधित सचिव अपने मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में संस्थान के प्रशासनिक कार्यों को करने के लिये जिम्मेदार होंगे। डाँगी ने सदन में सीए बिल पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इससे ऐसा प्रतीत होता है कि प्रस्तावित बिल अनुसार विधेयक कौंसिल के अध्यक्ष और सचिव के लिये अलग-अलग भूमिकाएं निर्धारित करता है परन्तु अध्यक्ष जो कि एक कार्यकारी भूमिका है को निर्णयों को लागू करने के लिये जिम्मेदार ठहराना, विधेयक में प्रस्तावित स्वतंत्र शक्ति के ढांचे के खिलाफ होगा। उन्होंने कहा कि जाँच किये जा रहे मामलों के विवरण का खुलासा करने से सदस्यों या फर्मों की प्रतिष्ठा पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा।
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