सांसद नीरज डाँगी ने राजस्थान के सीकर में अरबन हाट की स्थापना की मांग सदन में उठाई
सांसद नीरज डाँगी ने राजस्थान के सीकर में अरबन हाट की स्थापना की मांग सदन में उठाई

आबूरोड। सांसद नीरज डॉगी ने सदन में राजस्थान के सीकर में अरबन हाट स्थापित किये जाने की मांग उठाते हुए कहा कि राजस्थान सरकार के परियोजना प्रस्ताव की प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति जुलाई 2009 से केन्द्रीय वस्त्र मंत्रालय में लम्बित है। राजस्थान सरकार द्वारा बार-बार स्मरण कराये जाने के बाद भी 12 वर्ष पश्चात् भी स्वीकृतियाँ जारी नहीं करने का राजस्थान के हस्तशिल्पियों, दस्तकारों एवं बुनकरों का ज्वलन्त मामला उठाते हुए केन्द्र सरकार की मंशा से सदन को अवगत कराये जाने की मांग की। साथ ही उन्होंने केन्द्रीय वस्त्र मंत्री से यह भी तथ्य सदन में उजागर करने की मांग की कि राजस्थान में वस्त्र बुनकर उद्योग को बढ़ावा देने हेतु कोई स्थान और योजना नियत की गई है अथवा नहीं।
सांसद डॉगी ने पूरक प्रश्न के द्वारा वर्तमान में राजस्थान में वस्त्र और बुनकर उद्योग संबंधित कार्य के लिये कोई स्थान चिन्हित किये हैं और सरकार द्वारा राजस्थान में बुनकरों के लाभ के लिये कोई योजना बनाकर इस उद्योग के उत्थान के लिये क्या कदम उठा रही है। राजस्थान के हस्तशिल्पियों, दस्तकारों हेतु सीकर व अलवर जिलों में अरबन हाट स्थापित किये जाने के लिये जुलाई 2009 को राज्य सरकार द्वारा परियोजना प्रस्ताव प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति हेतु भारत सरकार को भिजवाये गये थे परन्तु 12 वर्षों बाद भी लगातार स्मरण कराये जाने के बाद भी स्वीकृतियां जारी नहीं की गई। उन्होंने भारत सरकार के वस्त्र मंत्री से अनुरोध किया कि राजस्थान के सीकर में अरबन हाट की स्थापना हेतु वित्तीय स्वीकृति शीघ्र जारी करें ताकि विश्वप्रसिद्ध राजस्थान के हस्तशिल्पियों व वस्त्र बुनकर उद्योग बढावा मिलें एवं उनकी कला का अच्छी तरह से प्रदर्शन किये जाने का उन्हें मौका मिल सके। इस हेतु राजस्थान सहित देश के सभी राज्यों में ऐसे केन्द्र स्थापित किये जाने चाहिए जहां पर इन कलाकारों को आगे बढ़ने का अवसर और वित्तीय सहायता मिल सके।
डॉगी ने सदन में कहा कि केन्द्र सरकार ने देश में अति कुशल शिल्पकारों की कला के सम्मान हेतु न तो अखिल भारतीय शिल्प मेला का आयोजन किया गया है और न ही विगत तीन वर्षों में इनके उत्थान के लिये कोई कदम उठाये हैं। दिखावे के तौर पर वस्त्र मंत्री ने सदन में अवगत कराया कि देशभर में पिछले तीन वर्षों में 556 एवं राजस्थान में 46 घरेलू विपणन कार्यक्रम जिसमें गांधी शिल्प बाजार, शिल्प बाजार और प्रदर्शनियाँ आयोजित की गई। उन्होंने कहा कि हस्तशिल्प अपने सौन्दर्य शास्त्र, सम्बद्ध पारंपरिक मूल्यों, विशिष्टता, गुणवत्ता और शिल्पकारिता के लिये प्रसिद्ध है, इसके कारीगरों द्वारा भावी पीढ़ी को पारंपरिक ज्ञान के लिये प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किये जाने चाहिये।
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