NPR सीएए पर प्रस्ताव लाने का जनभावनाओं की मांग को हेमंत सरकार कर रही है अंदेखी : अयुब खान

NPR सीएए पर प्रस्ताव लाने का जनभावनाओं की मांग को हेमंत सरकार कर रही है अंदेखी : अयुब खान


एनपीआर से आदिवासी पहचान खत्म होने का भय आदिवासियों को सता रहा है।


 गरीबों में डर और भय का माहौल।


LATEHAR - एक अप्रैल से होने वाले राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) जनगणना के साथ है झारखंड सरकार या इसके खिलाफ है इसपर सरकार के नीति साफ नहीं होने से अबतक भ्रम बना हुआ है, विधानसभा में एनपीआर समेत सीएए एनआरसी के खिलाफ प्रस्ताव लाने का कई आदिवासी संगठनों समेत कई राजनीतिक दलों की मांग को युपीए नेतृत्व वाली हेमंत सोरेन सरकार द्वारा अंदेखी की जा रही है, इससे 2021 कि जनगणना राज्य में होगी कि नहीं होगी इसपर सरकार द्वारा स्टैंड साफ नहीं किए जाने से भ्रम कि स्थिति है, प्रदेश की जनता की भावनाएं भी एनपीआर के खिलाफ है, यह बातें लातेहार CPIM के पूर्व जिला सचिव अयुब ने एक प्रेस वक्तव्य जारी कर कही, कहा एक अप्रैल से शुरू होने वाली जनगणना से लोगों में डर और भय बना हुआ है, इसमें आदिवासी मुस्लिम दलित समेत कई समुदाय काफी डरे हुए हैं, डर इस बात की है कि इसबार की 2021 जनगणना प्रपत्र में लोगों से मॉ बाप की जन्म तिथि पुछा जाएगा, यह भी पूछा जाएगा कि मॉ बाप का जन्म कहां हुआ है, अधिकॉस पुरुष और महिलाओं को अपने माता - पिता का डेट अॉफ बर्थ तथा उनका जन्म का स्थान पता ही नहीं है, ऐसे में लोगों कि चिंता है कि घर पर आने वाले जनगणना कर्मचारी को क्या बताया जाएगा, नहीं बताने पर क्या नागरिकता संदेह के घेरे में पड़ जाएगी, क्या एनआरसी का ही पहला स्टेज एनपीआर है, यही एनपीआर बाद मे एनआरसी हो जाएगी जिससे लोगों को काफी परेशानी होगी, वहीं इस एनपीआर प्रपत्र मे आदिवासी धर्म कॉलम नहीं है, अलग आदिवासी धर्म कॉलम नहीं रहने से आदिवासी समुदाय काफी चिंतित हैं,
आदिवासी भारत के मूल नागरिक हैं, इनकी कई कम्यूनिटी भारत में निवास करती है, वे अपने आदिवासी धर्म, संस्कृति, सभ्यता, परंपरा, रीति, रिवाज बोली - भाषा, रहन - सहन, खान - पान, वेशभूषा और पारंपरिक व्यवस्थाओं की वजह से जाने जाते हैं, यह संविधान में भी निहित है, आदिवासियों को आदिवासी पहचान खत्म होने का भय सता रहा है, दुसरी तरफ ऐसे कई लोग हैं जो हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई कॉलम छोड़ अदर कॉलम में अपनी गनणा कराते हैं, अब अदर कॉलम नहीं होने से ऐसे लोगों में भी गहरी चिंता है,
कई आदिवासी संगठनों ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ज्ञापन सौंपकर आदिवासीयों की राष्ट्रीय पहचान बचाए रखने के लिए 2021 की जनगणना प्रपत्र में आदिवासी धर्म कॉलम जोड़ने का प्रस्‍ताव सत्र में लाकर केंद्र को भेजने की मांग भी कर चुके हैं, तथा कई राजनीतिक पार्टियों ने भी राज्य में जनविरोधी एनपीआर एनआरसी और सविधान विरोधी सीएए पर कड़ा एतराज जताते हुए इसे राज्य में लागू नहीं करने के लिए विधानसभा से प्रस्ताव पास करने की मांग कर चुके हैं, रांची के कड़रू स्थित हज हाउस के समीप शाहीन बाग में धरना पर बैठी महिलाओं ने भी विधानसभा हाउस से सीएए एनपीआर एनआरसी के खिलाफ प्रस्ताव लाने की मांग कर रहे हैं, इसके बाद भी राज्य की युपीए गठबंधन सरकार द्वारा चुप्पी साधे रहने व उदाशीन रवैये से जनता की विश्वास हेंमत सोरेन सरकार से उठ रही  है, अयुब खान ने अप्रैल से होने वाले एनपीआर पर स्टैंड तत्काल साफ करने की मांग युपीए नेतृत्व वाली मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से की है।


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