पश्चिम बंगाल में कोलकाता के 11 साल के एक लड़के ने ऐसा ऐप तैयार किया है, जो गरीब मरीजों तक कीमती और जीवन रक्षक दवाएं आसानी से पहुंचा सकेगा* 

*पश्चिम बंगाल में कोलकाता के 11 साल के एक लड़के ने ऐसा ऐप तैयार किया है, जो गरीब मरीजों तक कीमती और जीवन रक्षक दवाएं आसानी से पहुंचा सकेगा*


*इस ऐप के जरिए जरूरतमंदों को मुफ्त में दवा सप्लाई की जा सकेंगी*


 एडटेक स्टार्टअप व्हाइट हैट जूनियर ने युवराज शाह नामक लडक़े के इस ऐप को स्वीकृति दी है। इस ऐप के आने के बाद अब वो समस्या दूर हो सकती है, जो कि आमतौर पर बीमारी के ऐनमौके पर दवा न मिलने के कारण बढ़ जाती हैं।


11 साल के युवराज शाह ने बनाया मेडमेज ऐप
युवराज शाह ने अपने ऐप का नाम मेडमेज रखा है।
 इसके जरिए लोग इलाज के दौरान बची और बिना एक्सपायर हुई दवाएं सरकारी अस्पतालों को दान कर सकते हैं। युवराज का कहना है कि, यह ऐप उन गरीब मरीजों के लिए भी मददगार साबित होगा जो सरकारी स्वास्थ्य सेवा योजनाओं के अंतर्गत आते हैं और सरकारी अस्पतालों में दवाएं नहीं मिलने पर निजी दवा दुकानों से खरीदने में सक्षम नहीं होते हैं।


*जरूरतमंदों को मुफ्त में उपलब्ध कराने में मदद करेगा*


अपने ऐप के बारे में बताते हुए युवराज ने कहा, एक बार लॉग इन करने पर मेडमेज ऐप उपयोगकर्ताओं को दवाओं के नाम, उनकी एक्सपायरी डेट, उपलब्ध स्ट्रिप्स की संख्या की जानकारी मुहाया कराने की अनुमति देगा। अस्पताल तब दवाओं का विवरण देखने के लिए उक्त ऐप को खोलेगा और दवाएं दान करने वालों के साथ संपर्क कर दवाएं प्राप्त करेगा। इस तरह यह ऐप दवा के अपव्यय को कम करने और उन्हें जरूरतमंदों को मुफ्त में उपलब्ध कराने में मदद करेगा।
*इसलिए आया इस ऐप को बनाने का आइडिया*
बकौल युवराज, एक दिन मैंने देखा कि आवश्यक खुराक खाने के बाद दादाजी के लिए खरीदी गई बहुत सी दवाएं बच गईं और एक्सपायरी डेट होने पर उन्हें फेंक दिया गया। तब मैंने महसूस किया कि ऐसी बहुत सी दवाएं अनेक लोगों के पास बचती होंगी, जो किसी गरीब लोगों की जान बचा सकती हैं। यही सोचकर मेडमेड ऐप विकसित करने का फैसला किया।


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