राजस्थान की घुड़सवार साईमा सैयद ने इतिहास रचा, 'वंडर वूमेन' के खिताब से नवाजा*

*राजस्थान की घुड़सवार साईमा सैयद ने इतिहास रचा, 'वंडर वूमेन' के खिताब से नवाजा*


*कांस्य पदक के साथ जीती 80 किलोमीटर नेशनल ऐंडयूरेन्स चैंपियनशिप*


*देश की पहली और एकमात्र राइडर बनी जिसने एक ही सत्र में तीन प्रतियोगिताओं में क्वालीफाई किया*


*अब वन स्टार राइडर बनने से मात्र एक कदम दूर है राइडर साईमा सैयद*


जोधपुर। राजस्थान की स्टार घुड़सवार सायमा सैयद ने एक बार फिर शानदार प्रदर्शन करते हुए देश में इस क्षेत्र में एक नया इतिहास रच दिया है। अपने नेशनल ऐंडयूरेन्स चैंपियनशिप में 80 किलोमीटर प्रतियोगिता में अपने करिश्माई प्रदर्शन से कांस्य पदक के साथ क़वालीफाई कर के साईमा देश की पहली और एकमात्र ऐसी महिला बन गई है जिसने एक ही सत्र में तीन चैंपियनशिप में क्वालीफाई किया है। इसी ऐतिहासिक उपलब्धि के कारण साईमा को प्रतियोगिता में *वंडर वुमेन* का खिताब दिया गया।
गुजरात के पालनपुर में आयोजित नेशनल ऐंडयूरेन्स चैंपियनशिप में साईमा ने अपनी घोड़ी अरावली के साथ 80 किलोमीटर एंडोरेंस राइड में भाग लिया और देश-विदेश के पुरुष घुड़सवारों के बीच संघर्ष के साथ शानदार प्रदर्शन करते हुए इस प्रतियोगिता में तीसरा स्थान प्राप्त किया। साईमा इस चैंपियनशिप में देश की एकमात्र महिला घुड़सवार है जिसने 80 किलोमीटर रेस जीती है। साथ ही एक ही सत्र में 40, 60 और 80 किलोमीटर प्रतियोगिता में क्वालीफाई करने वाली सायमा देश की पहली और एकमात्र घुड़सवार बन गई है जिसने ऐसा करिश्मा किया। अब सायमा *वन स्टार* स्तर की घुड़सवार बनने से सिर्फ एक कदम की दूरी पर है। 80 किलोमीटर की एक और चैंपियनशिप में क्वालीफाई करने के साथ ही साइमा देश की *वन स्टार* घुड़सवार बन जाएंगी । उल्लेखनीय है कि 'वन स्टार राइडर' बनने के लिए घुड़सवार को 40 किलोमीटर की एक, 60 किलोमीटर की एक और 80 किलोमीटर की दो प्रतियोगिताओं में क्वालीफाई करना आवश्यक होता है। गौरतलब है कि पिछले वर्ष दिसंबर में शुरू हुए सत्र में गुजरात के पालनपुर में आयोजित प्रतियोगिता में साईमा ने 40 किलोमीटर में क्वालीफाई किया था, उसके बाद महाराष्ट्र के नासिक में आयोजित प्रतियोगिता में 60 किलोमीटर रेस स्वर्ण पदक के साथ जीती थी और अब पालनपुर में आयोजित प्रतियोगिता में उस ने 80 किलोमीटर रेस को कांस्य पदक के साथ जीतकर यह नया इतिहास रचा। इस प्रतियोगिता में ही नहीं बल्कि देश में ऐसा कारनामा करने वाली वह पहली और एकमात्र महिला घुड़सवार बन गई है। प्रतियोगिता का आयोजन एक्वेस्ट्रेन एंड स्पोर्ट्स एसोसिएशन की मेजबानी में एक्वेस्ट्रेन फेडरेशन ऑफ इंडिया और ऑल इंडिया मारवाड़ी हॉर्स सोसायटी, गुजरात चैप्टर के तत्वावधान में  किया गया। इसमें देश-विदेश के कई घुड़सवारों ने भाग लिया।
पुरूषों के प्रभुत्व वाले इस खेल में संघर्षपूर्ण और शानदार प्रदर्शन कर रही साईमा सैयद पिछले कुछ वर्षों से मयूर चौपासनी स्कूल में नियमित प्रशिक्षण ले रही है। राज परिवार लगातार साईमा की हौसला अफजाई करता रहता है। वह पिछले कुछ अरसे से सूर्यनगरी के विख्यात घुड़सवार गौरव जोशी से मार्गदर्शन प्राप्त कर रही है जिस से उसकी प्रतिभा में निखार आया है।


*हसनैन मिर्ज़ा ने प्रदान किये पुरस्कार*


         करीब 20 साल बाद भारत को ओलंपिक में कोटा दिलाने वाले घुड़सवार फवाद मिर्जा के पिता मशहूर घुड़सवार रहे डॉ. हसनैन मिर्ज़ा इस अवसर पर मुख्य अतिथि थे। डॉ मिर्जा ने सायमा को कांस्य पदक और *वंडर वूमेन* का खिताब प्रदान गया।


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