कोरोना का केंद्र रहे बांगड़ अस्पताल के खिलाफ जांच के लिए कमेटी गठित, आरएएस अफसर को सौंपी कमान 

कोरोना का केंद्र रहे बांगड़ अस्पताल के खिलाफ जांच के लिए कमेटी गठित, आरएएस अफसर को सौंपी कमान 
भीलवाड़ा
भीलवाड़ा में कोरोना वायरस का केंद्र बिंदू रहे बृजेश बांगड़ मेमोरियल हॉस्पिटल के खिलाफ लंबे इंतजार के बाद आखिरकार जिला प्रशासन ने जांच कमेटी बैठा दी है। पांच सदस्यीय इस कमेटी का नेतृत्व आरएस अधिकारी को सौंपा गया है। भीलवाड़ा में फैले वायरस के कारण अब तक 2 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं 34 लोग संक्रमित हुये हैं। वहीं पिछले डेढ़ माह से भीलवाड़ा में लॉकडाउन है और इसके चलते लोग घरों में कैद है, जिनमें हॉस्पिटल के खिलाफ खासा गुस्सा भी है। 
जिला कलेक्टर राजेंद्र भट्ट ने एक आदेश जारी कर बृजेश बांगड़ मेमोरियल हॉस्पिटल के खिलाफ जांच कमेटी का गठन किया है। कमेटी एसडीएम विकास पंचौली के नेतृत्व में जांच करेगी। इसमें सीओ सुरेश, मेडिकल कॉलेज के चिकित्सक डॉ. मनमोहन गुप्ता, नायब तहसीलदार शैतान सिंह और डीएलआर धर्मेंद्र दादवानी को शामिल किया गया है। 
उल्लेखनीय है कि शहर के आरसी व्यास कॉलोनी में स्थित बृजेश बांगड़ मेमोरियल हॉस्पिटल में सबसे पहले इसी अस्पताल के डॉक्टर नियाज और नईम की तबीयत बिगड़ी। दोनों जयपुर के एक अस्पताल जाकर भर्ती हुये थे। इसका किसी को पता नहीं चला और जब वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. आलोक मित्तल की तबीयत बिगड़ी और वे जिला अस्पताल में कोरोना संक्रमित के रूप में सामने आये तब इस अस्पताल से कोरोना संक्रमण फैलने का खुलासा हुआ। डॉ. मित्तल के पॉजिटिव आने के साथ ही जिला कलेक्टर राजेंद्र भट्ट ने शहर में कफ्र्यू और जिले में धारा 144 लागू करते हुये अस्पताल से फैले कोरोना संक्रमण की चेन को तोडऩे के प्रयास शुरू कर दिये। 
प्रारंभिक जांच के बाद बांगड़ हॉस्पिटल को बंद करवा दिया गया और फिर प्रशासन और चिकित्सा महकमे ने कोरोना जांच शुरू की तो अस्पताल का स्टॉफ, भर्ती रहे मरिज, परिजन और इनके संपर्क में आये लोग पीडि़त निकले। लगभग आठ हजार लोगों की स्क्रिनिंग करवाई गई और अब तक 3 हजार से ज्यादा के सैंपल लिये जा चुके हैं। इसी बांगड़ अस्पताल में ही उपचार करवाने वाले दो मरिजों की संक्रमित होने के बाद मौत हो गई थी। साथ ही संक्रमितों का आंकड़ा भी बढ़ता गया और अब तक 34 लोग संक्रमित हो चुके हैं। 
भीलवाड़ा में कोरोना का केंद्र बांगड़ अस्पताल ही रहा। इसके चलते हजारों लोग बेरोजगार हो गये हैं और शहर के तमाम उद्योग धंधे ठप्प पड़े हैं। शहर ही नहीं, बल्कि गांव और कस्बे भी कोरोना की चपेट में आ गये,जिसके कारण वहां लॉक डाउन और कफ्र्यू लगाना पड़ा है। लोगों में गुस्सा ही नहीं, बल्कि सीधा-सीधा आरोप है कि अगर बांगड़ अस्पताल से फैली इस बीमारी का शुरूआत में पता चल जाता तो हालात इतने नहीं बिगड़ते। इसे लेकर अब तक 3-4 रिपोर्ट पुलिस को दी जा चुकी है, लेकिन एक भी मामला दर्ज नहीं हो पाया है। इससे भी लोगों में आक्रोश भड़का है। यह मामला मुख्यमंत्री तक पहुंचा तब जाकर अब जांच कमेटी गठित हो पाई है। इस बीच, बांगड़ चिकित्सालय के प्रबंधकों ने अस्पताल को फिर से चालू करने की स्वीकृति भी मांगी, लेकिन वर्तमान हालातों को देखते हुये उन्हें इसकी मंजूरी नहीं दी गई। 
जिला कलेक्टर की ओर से गठित जांच कमेटी पर अब सभी की निगाह लगी है कि जांच में क्या निकल कर आता है।


टिप्पणियाँ