मत बरपाओ कुल्हाड़ी का वन संपदा पर कहर ,वरना मरने के बाद ना देह होगी राख, ना कर पाओगे अस्थिया विसर्जित

मत बरपाओ कुल्हाड़ी का वन संपदा पर कहर ,वरना मरने के बाद ना देह होगी राख, ना कर पाओगे अस्थिया विसर्जित, /हमारे बुजुर्गा ने बहुत सरल तरीके से लकड़ी पर एक गीत गाया जो बहुत ही प्रचलित सुवा है, जीते भी लकड़ी मरते भी लकड़ी देख तमाशा लकड़ी का कराया जीवन करता मरण कबीरा खेल हे सारा लकड़ी का, जी हां अगर हम अभी भी समय पर नहीं जागे तो अंत समय मरने के बाद शमशान में देह पर चिता जलाने के लिए यह लकड़ी भी शशीब नहीं होगी, ना शरीर जलकर राख में तब्दिल होगा ना ही गंगा में विशरजन के लिए हमारे कंकाल की हड्डीया भी नशीब नहीं होगी, वैसे भी सरकार वन संपदा के लिए अपने कुबेर के खजाने से हमें लाखों ,करोड़ों ,अरबों रुपया मुहेय्या कराती है, ताकी ज्यादा से ज्यादा पेड़ पोंगे लगे वो वन संपदा के चलते घना जंगल हो और प्रर्यावरण स्वच्छ मीले, व भरपुर वर्षा हो, और धरती पुत्र   गरीब ना रहे, लेकिन इन सब बातों पर कौन अमल करें, आज चंद स्वार्थी लोग अपने फायदे के लिए वह अपनी तीजोरीया भरने के लिए नियमों को ताक में रख कर वन संपदा पर कुल्हाड़ी का कहर बरपा रहे  हैं, जो आने वाले समय के लिए वन संपदा के नष्ट होने का सुचक है, राजस्थान के बांसवाड़ा जिले व हमारे कुशलगढ़ वन रेंज के कुशलगढ़ , रामगढ़, कोटड़ा , मोहकमपुरा , व छोटी सरवा के पांच नाकों व वन चोटियों में फेरे सेकंडों हेक्टेयर में पिछले 20सालो के समय यह क्षेत्र चेरा पुंजी के नाम से प्रख्यात था पर शने, शने ना जाने इस वन संपदा पर कीस की ऐसी बुरी नजर लगी की इन फीछले 20 सालों से बैस किमी वन संपदा पर कुल्हाड़ी का कहर आखीर कर्मों नहीं रुका जब विभागिय अधिकारियों कर्मचारियों से वक्त वक्त पेड़ों की कटाई पर पुछा जाता है, तो श्री मान स्टाप की कमी की दुहाई  दे कर अपना पल्लू क्यो झाड़ लेते हैं, वहीं सरकार ने वन संपदा जैशी धरोहर रोकने के लिए वन सुरक्षा समिती या भी बनाई लेकिन वो भी अपनी जिम्मेदारी व अपने कर्तव्य के प्रती इतने लापरवाह  क्यो, क्यो नही वन विभाग व वन सुरक्षा समीतिया  धुर्तराष्ट की तरह आंखे होने के बावजुद कर्मों अंधे बने हुए हैं, कर्मों इस पर लगाम नहीं लगाई जाती ,आज वन संपदा पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं वन विभाग  व सरकार इस पर क्यो ध्यान नहीं देती जंगल में मोर नाचा कीसने देखा वाली कहावत यहां  क्यो चरितार्थ होती नजर आ रही है , आखीर ओर आखीर कौन वो तस्कर है कौन बैस किमी वन संपदा पर कुल्हाड़ी का कहर बरपा कर हमारी वन संपदा पर ग्रहण लगा रहा है आखीर कुंभ करती नींद से कब जागेंगे जागो ये अब तो जागो वन संपदा पर ध्यान दो नहीं तो शेष बची वन संपदा से भी हमें हाथ धोना पडेगा,


टिप्पणियाँ