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जयपुर , 18 सितम्बर 2020 , जीवन प्रबंधन गुरु पंडित विजय शंकर मेहता की नयी पुस्तक 'कोरोना जंग की सप्तपदी' पर मंजुल पब्लिशिंग हाउस के फेसबुक पेज के माध्यम से एक विशेष चर्चा का आयोजन किया गया। यह सत्र शुक्रवार 18 सितम्बर को शाम रखा गया एवं उनके साथ चर्चा में थी अंशु हर्ष। पंडित विजय शंकर मेहता ने कहा की चीन की चीज़ों के बहिष्कार के साथ आपकी रूचि आविष्कार में भी होनी चाहिए । अनलॉक के साथ चिड़चिड़ापन और डिप्रेशन उभरे हैं, जीविका के लिए संघर्ष करने वालों से उन्होंने कहा कि धर्म और आध्यात्म के पास वो ताकत है जो इस उलझन से निकलने में हमारी मदद कर सकती है। इस वक्त सभी को एक आत्मविश्वास जगाना होगा कि हमें लड़खड़ाना नहीं है, टूटना नहीं है, गिरना नहीं है। लोहे के पैर से ज़्यादा लोहे का कलेजा चाहिए, और स्थिर बुद्धि चाहिए। ये वक्त गुज़र जायेगा । इस समय के प्रतीक रामायण और महाभारत में मिल जायेंगे और इन्हीं से हमें इस समय से जूझने का समर्थ भी मिल जायेगा । करोना लाइफस्टाइल डिजीज है। इसलिए करोना से लड़ने के लिए हमें ब्रेन वाश करना होगा जो योग और ध्यान द्वारा संभव है। पंडित जी ने करोना काल में खास तौर पर मीडिया, हेल्थ वर्कर्स, पुलिस और सफाई कर्मचारियों के सेवा भाव और इस लड़ाई में उनके योगदान को महत्वपूर्ण माना।
उनके साथ चर्चा में थी अंशु हर्ष जो मिडिया एंटरप्रेन्योर हैं, वे एक मंथली मैगज़ीन " सिम्पली जयपुर" और एक वीकली न्यूज़ पेपर वॉइस ऑफ़ जयपुर की सम्पादक और पब्लिशर है। सिनेमा में रूचि कारण राजस्थान इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल की फाउंडर भी है और रिफ फिल्म क्लब की ट्रस्टी भी।पंडित विजय शंकर मेहता नई दृष्टि और अद्भुत वाक् शैली के साथ धर्म और अध्यात्म पर व्याख्यान के लिए देश और दुनिया में विख्यात हैं। बैंक, रंगकर्म और पत्रकारिता से जु़डे रहने के बाद 2008 से आध्यात्मिक विषयों पर व्याख्यान दे रहे हैं। वे श्रीमद् भागवत कथा, शिवपुराण, रामकथा, हनुमान चरित्र को जीवन से जोडते हुए कई विषयों पर व्याख्यान देते हैं। आप उज्जैन में स्थित हनुमान चालीसा ध्यान केन्द्र शांतम के मुख्य संस्थापक हैं तथा हनुमान चालीसा द्वारा ध्यान का विशेष कोर्स करवाते हैं।
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