सरकार के मिक्सोपैथी के प्रस्ताव के खिलाफ किया धरना प्रदर्शन

 सरकार के मिक्सोपैथी के प्रस्ताव के खिलाफ किया धरना प्रदर्शन 


✍️ दिनेश मेघवाल 

आबुरोड! इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आई एम ए) , आबूरोड सिरोही के सदस्यों ने रविवार को जिला अस्पताल आबूरोड में केंद्र सरकार के मिक्सोपैथी के प्रस्ताव के खिलाफ एक धरना दिया इस प्रस्ताव द्वारा आयुर्वेद डॉक्टरों को आधुनिक वैज्ञानिक चिकित्सा पर आधारित सर्जरी करने की अनुमति दी जाएगी इस तरह के कार्यों की आवश्यकता पर टिप्पणी करते हुए, आई एम ए अध्यक्ष डॉ तरूण अग्रवाल ने कहा कि वर्तमान में ऐसी स्थिति उत्पन्न हो गई है जिसमें डॉक्टरों को "पेशे के सम्मान को बचाने" के लिए लड़ना पड़ रहा है जबकि हम उस समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं जो इस राष्ट्र को स्वास्थ्य सेवा प्रदान करता है सरकार का लक्ष्य है कि चिकित्सा की सभी धाराओं का एक 'मिक्सोपैथी' बनाया जाए जो इन सभी को समाप्त कर दे हम ऐसा नहीं होने दे सकते हम ऐसा नहीं करेंगे।

आईएमए तीन मुद्दों पर आंदोलन कर रहा है - 

केंद्रीय भारतीय चिकित्सा परिषद (सीसीआईएम) द्वारा नवीनतम संशोधन जिसने आयुर्वेदिक स्नातकोत्तर छात्रों को सामान्य रूप से 66 प्रकार की चिकित्सा प्रक्रियाएं करने के लिए औपचारिक प्रशिक्षण प्राप्त करने की अनुमति दी जिनमें सामान्य सर्जरी, आर्थोपेडिक सर्जरी, नेत्र विज्ञान, ईएनटी, और दंत प्रक्रियायें एवं दंत सर्जरी सम्मिलित है एक अन्य मुद्दा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 है जिसमें एकल धाराओं (single pathy) वाले सभी संस्थानों को समाप्त करने का प्रस्ताव है और सभी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों को 2040 तक बहु-विषयक बनने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है आईएमए की चिंता यह है कि यह समर्पित स्वास्थ्य विश्वविद्यालयों को खत्म कर देगा और 2030 तक आयुर्वेद प्राकृतिक चिकित्सा यूनानी होम्योपैथी, सिद्ध और इसके साथ आधुनिक चिकित्सा पाठ्यक्रम को मिश्रित करेगा जो यदि लागू किया जाता है तो पारंपरिक वैकल्पिक और आधुनिक चिकित्सा दोनों ही धाराओं को प्रदूषित खराब करेगा

यह केंद्र सरकार की वन नेशन वन सिस्टम अवधारणा में भी परिकल्पित है NITI Aayog पहले से ही एकीकृत चिकित्सा शिक्षा अभ्यास सार्वजनिक स्वास्थ्य और अनुसंधान पर नीतियों को बनाने के लिए चार समितियों का गठन कर चुका है आईएमए का मानना ​​है कि यह कदम एक खिचड़ी है जो खिचड़ी डॉक्टरों का उत्पादन करेगा प्राचीन समय में प्रक्रियाएं सरल थीं समय बीतने के साथ विज्ञान विकसित हुआ है और विशेषज्ञता की मांग हुई लैप्रोस्कोपिक सर्जरी मोतियाबिंद सर्जरी जैसी जटिल प्रक्रियाएं कई वर्षों के सैद्धांतिक ज्ञान और प्रशिक्षण के उपरांत सीख पाते हैं हमें अपनी विरासत पर गर्व है लेकिन हमें यह भी समझना होगा कि सुश्रुत ने इन सभी चीजों का आविष्कार नहीं किया है हम आयुर्वेद और अन्य विषयों के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन केंद्र द्वारा आधुनिक चिकित्सा को कम करके आंका गया है उन्होंने कहा इस तरह की कार्यवाहीयां न केवल आधुनिक चिकित्सा की विरासत को मारेंगी बल्कि आयुर्वेद प्रणाली की पवित्रता को भी प्रदूषित करेंगी इससे चिकित्सा के आधुनिक और पारंपरिक रूपों के बीच टकराव होगा डां. चाहते है कि विज्ञान के हर रूप को पनपने दें IMA आबूरोड का समस्त चिकित्सक केंद्र सरकार की  CCIM अधिसूचना को वापस लेने और NITI Aayog द्वारा गठित चार समितियों को भंग करने की मांग करता है समस्त चिकित्सक आईएमए आबूरोड जिला सिरोही !

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