लोकनायक जयप्रकाश नारायण जयंती आज

*लोकनायक जयप्रकाश नारायण जयंती आज



सुभाष तिवारी लखनऊ

                11 अक्तूबर, सन् 1902 को जय प्रकाश नारायण  का  जन्म  बिहार  के  सिताब दयारा में एक कायस्थ  परिवार  में हुआ था. बिहार के प्रसिद्ध गाँधी वादी बृज किशोर प्रसाद  की  पुत्री प्रभावती के साथ इनका विवाह अक्तूबर 1920 में हुआ.

                 उन्होंने भारत के अलग - अलग हिस्सों में स्वतन्त्रता  संग्राम  का  नेतृत्व  किया. इसके लिए उन्हें सन्1932 में गिरफ्तार कर लिया गया. जब कांग्रेस ने 1934 में चुनाव में हिस्सा लेने का निर्णय लिया तो जे पी ने इसका विरोध किया. सन् 1939 में उन्होंने द्वितीय विश्व  युद्ध  के  दौरान, अंग्रेज़  सरकार के विरुद्ध लोक आन्दोलन का नेतृत्व किया. सन् 1942 में भारत छोड़ो आन्दोलन के दौरान वे आर्थर जेल से फरार हो गये.

                   मुझे अपने लिए चिंता नहीं है, किन्तु देश के लिए मुझे चिंता है. उन्हें एक बार फिर सितम्बर, सन् 1943 में गिरफ्तार कर लिया गया. सन् 1945 में उन्हें आगरा  जेल  में स्थान्तरित कर दिया गया. फिर 1946 को आजाद  कर दिया गया. 1948 में उन्होंने कांग्रेस के समाजवादी  दल  का  नेतृत्व  किया. 19 अप्रैल 1954  में  गया, बिहार  में  उन्होंने  विनोबा  भावे  के  सर्वोदय आन्दोलन  के  लिए जीवन  समर्पित कर दिया. 1957 में  उन्होंने  लोकनीति  के पक्ष में राजनीति  छोड़ने  का निर्णय लिया. सन् 1960 के दशक के अन्तिम भाग में वे राजनीति में पुनः सक्रिय रहे.

                   वे इन्दिरा गाँधी की  प्रशासनिक  नीतियों के विरुद्ध थे. गिरते स्वास्थ्य के बावजूद उन्होंने बिहार में सरकारी भ्रष्टाचार के विरुद्ध आन्दोलन किया. उन्हें सन् 1970 में  इन्दिरा  गाँधी  के  विरुद्ध  विपक्ष का नेतृत्व करने के लिए जाना जाता है. सन् 1974 में *सिंहासन खाली करो जनता आती है* के नारे के साथ वे मैदान में उतरे तो सारा देश उनके पीछे चल पड़ा, जैसे किसी संत महात्मा के पीछे चल रहा हो.

                वे समाज-सेवक थे, जिन्हें *लोकनायक* के नाम से भी जाना जाता है. 1999 में मरणोपरांत *भारत रत्न* से सम्मानित किया गया. समाज सेवा के लिए सन् 1965 में मैगससे पुरस्कार प्रदान किया गया था. पटना के हवाईअड्डे का नाम उनके नाम पर रखा गया है तथा दिल्ली सरकार का सबसे बड़ा अस्पताल *लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल* भी उनके नाम पर है.

                    उन का समस्त जीवन यात्रा संघर्ष तथा साधना से भरपूर रहा है. उन्होंने भारतीय राजनीति को ही नहीं बल्कि आम जनजीवन को एक नई दिशा दी. वे समूचे भारत में ग्राम स्वराज्य का सपना देखते थे और उसे आकार देने के लिए अथक प्रयास भी किये.

                 इन्दिरागाँधी  को  पदच्युत  करने  के  लिए उन्होंने  *सम्पूर्ण  क्रांति*  नामक  आन्दोलन  चलाया. लोकनायक ने कहा कि सम्पूर्ण क्रांति में सात क्रांतियाँ शामिल  हैं.  *सामाजिक*,  *सांस्कृतिक*,  *बौद्धिक*, *राजनैतिक*, *आर्थिक*, *शैक्षणिक* एवं *आध्यात्मिक क्रांति*. सम्पूर्ण क्रांति की तपिश इतनी भयानक थी कि केन्द्र में कांग्रेस को सत्ता से हाथ धोना पड़ा. जे पी के नाम से प्रसिद्ध जयप्रकाश नारायण घर-घर में क्रांति का पर्याय बन चुके थे. लाल मुनि चैबे, लालू प्रसाद यादव, नीतीश कुमार, राम विलास पासवान  या  फिर सुशील मोदी, आज के सभी नेता  उसी  छात्र युवा वाहिनी का हिस्सा थे.

                      वे  अत्यंत  समर्पित  जननायक  और मानवतावादी चिंतक तो थे ही इसके साथ-साथ उनकी छवि अत्यन्त शालीन और मर्यादित सार्वजनिक जीवन जीने वाले व्यक्ति की भी है. उनका समाजवाद का नारा आज भी हर तरफ गूँज रहा है. भले ही उन के नारे पर राजनीति करने  वाले  उन के सिद्धांतों को भूल रहे हों, क्योंकि, उन्होंने सम्पूर्ण क्रान्ति का नारा एवं आन्दोलन जिन  उद्देश्यों  एवं  बुराइयों  को समाप्त  करने के लिए किया था, वे सारी बुराइयाँ इन राजनीतिक दलों एवं उन के नेताओं में व्याप्त हैं.

                     वे  अत्यंत  भावुक  थे  लेकिन  महान क्रांतिकारी भी थे. वे संयम, अनुशासन और मर्यादा के पक्षधर थे. इस लिए उन्होंने कभी भी मर्यादा की सीमा का  उल्लंघन  नहीं  किया. विषम  परिस्थितियों  में भी कभी उन्होंने अपना अध्ययन नहीं छोड़ा और आर्थिक तंगी  ने  भी, उन का  मनोबल  नहीं तोड़ा. यह उन के किसी भी कार्य की प्रतिबद्धता को ही निरूपित करता था, उन के दृढ़ विशवास को परिलक्षित करता है.

                     उन का सब से बड़ा आदर्श था जिस ने भारतीय जनजीवन को गहराई से प्रेरित किया, वह था उनमें सत्ता की लालसा नहीं थी. वे स्वयं को सत्ता से दूर रखकर देशहित में सहमति की तलाश करते रहे. वे देश की राजनीति की भावी दिशाओं को, बड़ी ही गहराई से महसूस करते थे. यही कारण है कि राजनीति में शुचिता एवं पवित्रता की निरन्तर वकालत करते रहे.

                  जीवन भर  संघर्ष  करने  वाले  और इसी संघर्ष की आग में तपकर कुन्दन की तरह दमकते हुए समाज के सामने आदर्श बन जाने वाले प्रेरणा स्त्रोत थे लोक नायक जय प्रकाश नारायण, जो अपने त्यागमय जीवन के कारण  मृत्यु से पहले ही प्रातः स्मरणीय बन गये थे     उन्होंने अपने विचारों, दर्शन तथा व्यक्तित्व से देश की दिशा तय  की  थी. हृदय  की  बीमारी  और मधुमेह के कारण जयप्रकाश का निधन पटना में उनके निवास स्थान पर 8 अक्तूबर, 1979 को हुआ.

                ऐसे देश-भक्त, समाजसुधारक लोकनायक जयप्रकाश नारायण जी की जयंती पर उन्हें कोटि-कोटी नमन्.

 *राष्ट्रीय युवा क्रांतिकारी मोर्चा की ओर से भावभीनी श्रद्धांजलि प्रयागराज ग्रुप*

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