सन 2030 तक पंचवा मौत का सबसे बड़ा कारण होगा सडक़ दुर्घटना*

 *सन 2030 तक पंचवा मौत का सबसे बड़ा  कारण होगा सडक़ दुर्घटना* 



“ *लाल”निगलती सड़कें”* 

*सफर/यात्रा* -सड़क +वाहन+यात्री/चालक = यात्रा (तीन तिगाडु काम बिगाड़ू की कहानी )

यात्रा -जब हम अपने निवास स्थान से किसी दूसरी जगह पर किसी विशेष कार्य हेतु जाते हैं तो उसे यात्रा कहते  हैं । सड़क, वाहन और चालक (यात्रा ) परिवारों को जोड़ने काम करती  हैं लेकिन आजकल तो ज्यादातर देखने मे आ रहा है कि  परिवारों को तोड़ रही है 

जिस तरह से शिक्षा के तीन घटक होते है  शिक्षक,शिक्षार्थी व पाठ्यक्रम अगर तीनों मे तालमेल सही नहीं है तो उस देश का शिक्षा तंत्र खराब हो जाएगा और देश का  भविष्य खतरे मे होता है क्योंकि देश का भविष्य विद्यार्थी होते हैं उसी तरह यात्रा मे भी मुख्य तीन घटक होते हैं सड़क +वाहन+यात्री/चालक -अगर तीनों मे किसी एक ने भी गलती की तो एक्सिडेंट होगा या संभावना ज्यादा रहती है 

सड़क दुर्घटना विश्व में एक बहुत बड़ी मानव निर्मित वैश्विक समस्या बन चुकी है सड़क दुर्घटना में युवा ही सबसे ज्यादा दुर्घटना के शिकार होते हैं वह युवा की ही सड़क दुर्घटना में सबसे ज्यादा मौत होती है इससे घरों में कमाने वाले ही मौत के शिकार ज्यादा होते हैं वह विकलांग भी ज्यादा होते हैं जिससे देश का युवा विकलांग बहुत ज्यादा हो रहा है  जिस देश का युवा जितना ज्यादा विकलांग या बीमार होगा उस देश का विकास उतना ही कम होगा है 

विश्व बैंक अनुसार सड़क दुर्घटना पर कुछ आंकड़े इस प्रकार से हैं

विश्व के कुल वाहनों की संख्या भारत में 1% है भारत सड़क दुर्घटना और  दुर्घटना में होने वाली मौतो  में सन 2006 से लगातार पहले पायदान पे है सड़क दुर्घटना से विश्व की लगभग 11% मौत भारत में होती है आज विश्व सड़क दुर्घटना में मौत का आठवां बड़ा कारण है अगर इसी तरह मौत होती हुई सड़क दुर्घटना में होती रही तो सान 2030 तक पंचवा मौत का सबसे बड़ा  कारण बन जाएगा।  भारत में 1 मिनट में एक्सीडेंट होता है और एक्सिडेंट से प्रत्येक 4 मिनट में एक मौत होती है इस प्रकार 1 दिन में 415 मौत हो जाती है और हर साल ल लगभग 151475 लोग सड़क दुर्घटना में मारे जाते हैं को साढ़े चार लाख के लगभग दुर्घटना में घायल होते हैं इनमें से 77%  तो  18 साल से 45 साल के युवा ही दुर्घटना के शिकार होते हैं।  मौत का मुख्य कारण 78% ड्राइवर की लापरवाही से होती है । गलत दिशा में गाड़ी चलाने के कारण 5.8% मौत होती है, मोबाइल पर बात करते समय 3%, साइकिल, पैदल चालक व दूसरे वाहनों की गलती से 7.1% ,सार्वजनिक निकायों की लापरवाही के कारण 2.8% ,गाड़ियों में बनावट संबंधित खामियों के कारण 3%, खराब मौसम के कारण 1.7 प्रतिशत लगभग, बिना हेलमेट के लगभग 30%, सीट बेल्ट के बिना लगभग 16 % ।  स्पीड का अधिक होना यह 48% । 

वाहन के हिसाब से किससे कितने एक्सिडेंट होते है 2019 की रिपोर्ट के अनुसार

कार 13.7%,ट्रक व लारी 14.6%,दुपहिया 38%,ऑटोरिक्शा 4.7%,पैदल7.7%,बस 5.9%,बिना मोटर्स 3.3%,अन्य 12.1%

सड़क दुर्घटना के कारण

मुख्य कारण 

सड़कों की इंजीनिएरिंग मे दोष , वाहन मे तकनीकी खराबी ,मानवीय भूल 

दूसरे कारण -

  वाहन चालक प्रशिक्षण स्कूल  की कमी या बिना प्रशिक्षण के वाहन चालक के द्वारा वाहन चलाना,गति सीमा का अधिक होना ,हेलमेट नहीं लगाना,सीट बेल्ट नहीं लगाना, ड्राईवर का हेल्थ चेकप समय समय पे नहीं करना और भरष्टाचार , यातायात नियमों का पालन नहीं करना ,गलत ओवरटेकिंग व लेंकटिंग करना, चालक की नींद पूरी नहीं होना ,नशे मे वाहन चलाना ,ध्यान भटकना ,ओवर लोडिंग वाहन,सुरक्षा साधनो का उपयोग नहीं करना ,जनजागृति अभाव,टूटी फूटी सड़कों की सिकायत नहीं करना ,ड्राईवर  अगर ड्राइविंग कर रहा है तो उसकी सिकायत नहीं करना,ड्राईवर को वाहन से संबधित तकनीकी ज्ञान नहीं होना, चोराहों , मौड़ व सड़क दुर्घटना संभावित क्षेत्र मे सचेतक सड़क चिन्ह नहीं लगाना या द्र्श्यतांक नहीं होना , सिग्नल का ध्यान नहीं देना, संस्कार व शिष्टाचार की कमी,अपने बच्चों पे माँ बाप का नियंत्रण नहीं  होना, बच्चे फिल्मों ली तरह वाहन चलाना ,मोबाइल का प्रयोग करना, आवारा पशुओं का ध्यान नहीं रखना   

  सड़क सुरक्षा के उपाय

वाहन चालक अच्छा प्रशिक्षण के स्कूल ज्यादा से ज्यादा हो,अपने बच्चों को अच्छे संस्कार व शिष्टाचार देवे यातायात के नियमों का पालन करे, गति सीमा का ध्यान रखे,चौरहा पर करते समय रुके सिग्नल देखे व पर करे ,सीट बेल्ट बांधे , हेलमेट लगाए ,ड्रिंक ना करें ,वाहन को दुरुस्त रखें , वाहन चलते समय मोबाइल का प्रयोग ना करें वाहन सुरक्शित ढंग से चलाये ड्राईवर को हमेशा नम्र ही रहना चाहिए, अच्छा मददगार होना (गुड सेमेरिटन)  सड़क दुर्घटना बचाव के बारे मे आम जनता को जागृत करे ,ड्यूटि के लिए  घर से टाइम से थोड़ा पहले निकले ,चिन्हों से संबंधित बोर्ड नहीं लगा वहां के बारे में तुरंत बताएं 

किसी भी विभाग के काम की गुणवता अगर बढ़ानी है हो तो उस विभाग के सभी सभी करामचरिओ को सकरतमक गुणो से भर दो और उनकी अच्छी ट्रेनिंग दो 

इसके लिए 

थ्योरी ऑफ बेस्ट मेनेजमेंट  Theory  of BEST Management  TQP=TQT=TQM and BEST

T3Q3P1T1M1  या TQP=TQT=TQM  टोटल क्वालिटी पीपल = टोटल क्वालिटी ट्रेनिंग= = टोटल क्वालिटी मेनेजमेंट का सिद्धांत

कीसी क्षेत्र मे सफलता दिलाने वाली बढ़त तैयारी से मिलती है ।

तैयारी = मकसद+उसूल+योजना+अभ्यास +दृढ़ता+धैर्य+आत्मगौरव

भारत मे उच्च अधिकारियों को प्रशिक्षण सबसे ज्यादा व निम्न तबके के लोगों व करामचरिओन को कम से कम ट्रेनिंग दी जाती है जबकि निम्न तबके लेबर व चालक को व आम मजदूर को ट्रेनिंग की बहुत जरूरत होती जेसे सदका बनाने वाले सभी मजदूरों को ट्रेनिंग की बहुत जरूरी होती है लेकिन उनको बिलकुल भी ट्रेनिंग नहीं दी जाती है उनसे काम करा लिया जाता है और उनके काम की क्वालिटी को कोई चेक नहीं करता दूसरी तरफ देखे तो किसी भी वाहन के कल पुर्जे बनाने वाली फ़ैक्टरि मे के मजदूर काम करता वो बहुत अच्छा कम करता है उसका अनुभव बहुत अच्छा हो जाता है लेकिन सदका बनाने का अनुभव नहीं होता है उनका ठेकेदार हमेशा नए नए व कम से कम कम मजदूरी लेने वाले मजदूरी लेने वाले मजदूर काम पे रखता है चाहे उसको कोई काम आए या न आए क्योंकि जनता को तो इस  सड़क से जाना ही पड़ेगा चाहे वो सड़क अच्छी बनाए या घटिया लेकिन एक कल पुर्जे को खरात उतारने वाला मजदूर कभी घटिया काम नहीं कर सकता उसको तो सही काम करना ही पड़ता ही हैनहीं उसके बनाए कल पुर्जे मशीन मे फिट नहो होंगे ओर उसका मालिक उसको कुछ बोलेगा या नोकरी से निकाल देगा। 

इसलिए परिवहन विभाग ,सड़क बनाने वाले विभाग , सड़क सुरक्षा सेल के सभी अधिकारियों व सभी कर्मचारिओन को ट्रेनिंग ज्यादा से ज्यादा देवे और वाहन चालक व मजदूरों को ट्रेनिंग ज्यादा से ज्यादा देवे. 

क्योंकि जब तक सभी को अच्छी क्वालिटी की  ट्रेनिंग नहीं  देंगे तब कट सभी आदमी अच्छी क्वालिटी के नहीं बेनेंगे और जब तक सभी आदमी अच्छी क्वालिटी के नहीं बनेंगे तब तक उस उस विभाग का पूर्ण  मेनेजमेट अच्छी क्वालिटी का नहीं होगा 

ये सब तभी संभव होगा जब भारत के शिक्षा तंत्र  पे ध्यान दिया जाएगा 

 *अगर दूरअंदेशी 1 साल तक हो तो फूल वाले पौधे लगा दो अगर दूर अंदेशी 10 साल तक हो तो पेड़ लगा दो अगर दूरअंदेशी अनंत काल तक हो तो वहां की जनता को विकसित कर दो* 

‘; *जब कर्मचारी कहते हैं की मैं यह काम नहीं कर सकता”’ तो इसके दो मायने हो सकते हैं या तो उनका मतलब है कि उन्हे काम करने का तरीका मालूम नहीं है  तो यह टेक्निकल ट्रेनिंग का मुद्दा है लेकिन अगर वे काम नहीं करना चाहते है तो यह नजरिए से जुड़ा मुद्दा हो सकता है (उन्हे उस काम की परवाह नहीं है )या नैतिकता का मुद्दा हो सकता है (वे मानते है की उन्हे वह काम नहीं करनाचाहिए* । 



एक्सक्लुसिव वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्डर 

मेवासिंह पूर्व सैनिक नर्सिंग ऑफिसर 

पीबीएम अस्पताल बीकानेर भारत

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