माघ मेलें में आए श्रद्धालु अपनाएं अहतियात के यह छः मंत्र

 माघ मेलें में आए श्रद्धालु अपनाएं अहतियात के यह छः मंत्र


मेले में अहतियात अपनाएं व खूबसूरत याद लेकर जाएँ : जिला क्षय रोग अधिकारी

सुभाष तिवारी लखनऊ

प्रयागराज 03 फरवरी 2022: जिला क्षय रोग अधिकारी व जिला सर्विलान्स अधिकारी के नोडल डॉ॰ अरुण कुमार तिवारी ने बताया कि ‘कोरोना संक्रमण के मामले दुनिया भर में लगातार बढ़ना चिंता का विषय है। कोविड-19 प्रोटोकाल के मद्देनजर अहतियात के हर छोटे-बड़े पहलुओं पर प्रशासन की नजर है। माघ मेले में दुनियाभर से लोग पहुँच रहे हैं। मेले में आने वाले श्रद्धालु प्रयागराज से खूबसूरत याद लेकर जाएँ व स्वस्थ एवं कुशल अपने गाँव, घर, परिवार तक पहुंचे। इसके लिए मेले में मौजूद व आने वाले सभी श्रद्धालुओं को अहतियात के इन छः मंत्र को अपनी आस्था की यात्रा से जोड़े रखना होगा। 


पहला मंत्र : अस्वस्थ होने पर यात्रा न करें।


घर से निकलने से पहले ध्यान दें कि आपका स्वास्थ कैसा है। अपने साथ चलने वाले संबंधियों के स्वास्थ की पुख्ता जानकारी ले लें। कोशिश करें बच्चों व बुजुर्गों के सभी उपयोगी सामान जैसे की दवाई आदि रख लें। अस्वस्थ होने पर घर से न निकलें और न ही अस्वस्थ व्यक्ति के साथ यात्रा करें। बुखार, खांसी या कोरोना के किसी भी लक्षण की आशंका महसूस हो तो अपने साथ आए संबंधियों से भौतिक दूरी बना लें। इसके बाद मेले में ही लगे स्वास्थ शिविर में मौजूद डॉक्टर से सलाह लें आवश्यकता पड़ने पर कोविड केयर सेंटर में अपनी कोरोना की जांच कराएं। तब तक आइसुलेट रहें रिपोर्ट कोरोना निगेटिव आने के बाद ही किसी से मिलें।

  

दूसरा मंत्र : मास्क, सेनीटाइजर से जोड़िए अपनी आस्था

 

इस बात का बेहद ध्यान रखें की बिना मास्क के श्रद्धालु जनपद के किसी भी प्राचीन मंदिर में नहीं कर पाएंगे प्रवेश। यात्रा के दौरान, कुछ खाते समय, एक या एक से अधिक व्यक्ति के संपर्क में आने पर भौतिक दूरी का पालन करें। अनावश्यक मंदिर परिसर की दीवारों को कोई ना छूए, बच्चों, बुजुर्गों को ज्यादा भीड़ में ना जाने दें। उनके स्वास्थ का ख्याल रखें व सेनीटाइजर का प्रयोग समय-समय पर करते रहें। इसलिए मास्क, सेनीटाइजर से जोड़िए अपनी आस्था और दीजिए कोविड-19 को मात। 


तीसरा मंत्र : कोरोना संक्रमण ना लीजिए ना दीजिए 


माघ मेले में आए श्रद्धालु अस्थायी रैन बसेरे में रुकेंगे व दान-पुण्य करेंगे। यहाँ संक्रमण का सबसे ज्यादा खतरा है। हालांकि प्रशासन ने सारे इंतेजाम कोविड-19 प्रोटोकॉल के तहत ही किए हैं फिर भी घर से निकलते समय अपने साथ श्रद्धालु तौलिया व कंबल लेकर ही निकलें। दान में कहीं आप संक्रमण तो नहीं बाट रहें इसका ध्यान जरूरी है। सार्वजनिक स्थान जैसे की शौचालय, जलपान गृह व अन्य स्थानों पर अनिमियतता नजर आए तो मेला प्रशासन से इसकी शिकायत करें। दान देने से पहले समझ लें की इस्तेमाल किया हुआ कोई भी सामान या जूठा भोजन किसी गरीब या असहाय को भूल कर भी ना दें। रैन बसेरे में विश्राम हेतु कोशिश करें की अपने साथ लाए बिछौने का प्रयोग करें। मास्क लगाए रखें व सेनीटाइजर का प्रयोग आवश्यकता पड़ने पर जरूर करें। भौतिक दूरी का ध्यान रखें।


चौथा मंत्र : स्नान के दौरान रखें ज्यादा ध्यान


कोरोना संक्रमण की चपेट में कोई श्रद्धालु ना आए इसके लिए हर प्रकार से सावधान रहने की जरूरत है। नदी में स्नान के दौरान प्रमुख अहतियात बरतने होंगे। सबसे पहले ध्यान रहे की स्नान के दौरान घाट पर भौतिक दूरी का पालन जरूरी है। स्नान के दौरान नदी में कुल्ला ना करें, नदी का पानी ना पीएं, मास्क व कपड़े को नदी में ना धुलें। किसी मूर्ति या वस्तु को नदी में प्रवाहित ना करें। जिस तौलिए से अपनी शरीर को सुखाएं ध्यान रहे उसका उपयोग कोई और ना करे। 


पांचवां मंत्र : नाव में ज्यादा लोग एक साथ ना बैठें


मेले में अगर आप नाव पर सवारी करना चाहते हैं तो सतर्क रहें। ध्यान रहे एक ही नाव में ज्यादा सवारी एक साथ ना बैठें। ऐसा करने पर कोरोना संक्रमण से आप पूरी तरह बचे रहेंगे। साथ ही किसी प्रकार की दुर्घटना की संभावना भी कम हो जाएगी। इस बात को समझ लें की मेले में स्नान के समय को छोडकर बाकी पूरे समय मास्क लगाए रखना है। नाव में बैठते समय बिना मास्क के ना बैठें कोई अन्य व्यक्ति बिना मास्क के नाव में सवार हो तो उस नाव पर यात्रा कर अपनी व अपनों की जान को संक्रमण के जोखिम में ना डालें और सतर्क रहें।     


छठा मंत्र : सार्वजनिक स्थान पर ना थूकें- बलगम आए तो निगल लें


मेले में आए श्रद्धालु सार्वजनिक स्थानों पर ना थूकें। ध्यान रहे बलगम को थूकने का सही तरीका यही है की उसे किसी टीश्यू पेपर पर थूकने के बाद उसे सुरक्षित कूड़ेदान में डाल दें। यह जान  समझ लें की बलगम आने या थूक को निगलने पर हमारी शरीर पर इसका विशेष नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता है। इसलिए अगर उपयुक्त स्थान ना मिले और मुह में बलगम आ जाए तो निगल लेने में ही सबकी भलाई है। मेला परिसर में पान मसाले का सेवन ना करें क्योंकि आपके सर्वजिक स्थान पर थूकने से आपका संक्रमण अन्य लोगों में जा सकता है।

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