कहानी यूक्रेन मैं फसी वागड़ की तीन बहादुर बच्चियों की

कहानी यूक्रेन मैं फसी वागड़ की तीन बहादुर बच्चियों  की




कुशलगढ़ 

*ललित गोलेछा ब्यूरो चीफ की रिपोर्ट✍🏽*

उन्नति सेठ पुत्री  पंकज सेठ कुशलगढ़ 

, चेल्सी जैन बड़ोदिया और जिनल शाह चंदूजी का गड़ा  वागड़ अंचल की तीनों बहादुर बेटियो ने भारतीय दूतावास की एडवाइजरी आने के बाद यूक्रेन की परिस्थितियों को देखते हुए "टेरनोपिल मेडिकल नेशनल यूनिवर्सिटी " से यूक्रेन देश की पश्चिमी सीमा की तरफ भारी गोलाबारी के बावजूद  निजी वाहन से निकले। उस समय गवर्नमेंट ऑफ इंडिया (भारतीय दूतावास) की गाइडलाइन जारी हुई थी कि आपको जल्द से जल्द पोलैंड बॉर्डर पर पहुंचना है। तीनों विद्यार्थी पोलैंड बॉर्डर की तरफ वाहन से निकले और जैसे ही पोलैंड बॉर्डर पर पहुंचे पता लगा कि भारतीय दूतावास की ओर से कोई भी अधिकारी बॉर्डर पर मौजूद नहीं था ना ही कोई वाहन सुविधा जो उन्हें बॉर्डर चेकप्वाइंट तक ले जाए। तीनों महिला विद्यार्थियों ने 8 से 9 किलोमीटर पैदल माइनस 8 डिग्री सेल्सियस तापमान में चलकर पोलैंड यूक्रेन चेक पोस्ट पर पहुंचे और पहुंचने पर पता लगा की भारतीय दूतावास ने पुनः अपनी एडवाइजरी बदलते हुए कहा कि आपको पोलैंड बॉर्डर नहीं पहुंचना है।  माइनस 8 डिग्री सेल्सियस में बच्चियों ने पूरी रात बिना पानी बिना भोजन और बिना छत के पोलैंड यूक्रेन बॉर्डर चेक पॉइंट पर बिताई। यूक्रेनियन फौज द्वारा कई प्रकार की क्रूरता बॉर्डर पर देखी गई।   भारतीय दूतावास की ओर से किसी ने भी ना फोन उठाया ना ही व्यक्तिगत रूप से आकर उन्हें ढाढस दिया  की आपको हम कॉस करवा देंगे।


कुशलगढ़ में मौजूद बड़े भाई उन्नति के बड़े भाई रौनक ने दिल्ली स्थित दूतावास से संपर्क कर नई योजना के अनुरूप तीनों बच्चियों को पश्चिमी यूक्रेन के शहर ओजोरोड की तरफ जाने को कहा।

 तभी तीनों बच्चियों ने पुनः निजी वाहन कर पश्चिमी यूक्रेन के  शहर "ओजोरोड" की की तरफ से प्रस्थान  किया जहां भारतीय दूतावास के अधिकारी ने उन्हें आश्रय दिया।  और अगले दिन "जहोनी " बॉर्डर पर हंगरी देश की बॉर्डर  के रास्ते भारतीय दूतावास की मदद से "बुडापेस्ट" पहुंचे। जहां पर भारतीय दूतावास के अधिकारियों द्वारा तीनों बच्चियों को आश्रय भोजन की व्यवस्था की गई और अगले दिन नई दिल्ली के विमान से भारत लाया गया। जहां धीरज कुमार राजस्थान के जो नोडल ऑफिसर है उनके द्वारा बच्चियों को राजस्थान भवन में भोजन , आश्रय की व्यवस्था की गई और उदयपुर तक लाया गया। 48 घंटों की जो वेदना इन तीनों बच्चियों ने स्वयं से बिताई है वाकई में यह समाज एवं देश के लिए बड़ा उदाहरण है।उन्नति पंकज कुमार सेठ

 यह डॉक्टरी कर रही उन्नति के पिता पंकज सेठ माता रागिनी सेट भाई रोनक सेठ भी पहुंचे एयरपोर्ट किया स्वागत गले मिलकर बेटे ने बोला हम लौट आए हैं वतन

 उन्नति सेट कुशलगढ़ दिगंबर समाज के अध्यक्ष जयंतीलाल सेट की पोती है

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