एमओयू व 200 करोड़ रुपये केन्द्र को भुगतान के 11वर्ष बाद भी रतलाम-डूंगरपुर वाया बांसवाड़ा नई रेल लाईन का कार्य शुरु नहीं - नीरज डाँगी
एमओयू व 200 करोड़ रुपये केन्द्र को भुगतान के 11वर्ष बाद भी रतलाम-डूंगरपुर वाया बांसवाड़ा नई रेल लाईन का कार्य शुरु नहीं - नीरज डाँगी

आबूरोड। सांसद नीरज डॉगी ने सदन में शून्यकाल के दौरान रतलाम - डूंगरपुर वाया बांसवाड़ा नयी रेल लाईन परियोजना का मामला उठाते हुए कहा कि रेल बजट 2011-12 में यह परियोजना स्वीकृत हुई, विधिवत् शिलान्यास एवं राजस्थान सरकार की ओर से लागत की सहभागिता राशि के तौर पर 200 करोड़ रुपये का भुगतान भी मार्च 2011 में ही किये जाने के बाद भी समय पर कार्य प्रारंभ नहीं होने के कारण वर्तमान में परियोजना एवं भूमि अधिग्रहण लागत अत्यधिक बढ़ जाने के कारण परियोजना जन-जातिय क्षेत्र से संबंधित दृष्टिगत रेल मंत्रालय द्वारा इसे राज्य सरकार को लागत सहभागिता से मुक्त रखते हुए इस वर्ष के केन्द्रीय बजट के पूँजीगत व्यय से शीघ्र प्रारंभ कर पूर्ण किये जाने की मांग की। उन्होंने कहा कि इस परियोजना में राजस्थान एवं मध्यप्रदेश की भूमि अधिग्रहण लागत राजस्थान सरकार द्वारा वहन की जायेगी।
डाँगी ने कहा कि रेल बजट 2011-12 में डूंगरपुर-रतलाम वाया बांसवाड़ा नयी रेल लाईन परियोजना स्वीकृत की गई थी। इस हेतु राजस्थान सरकार तथा रेल मंत्रालय के बीच लागत सहभागिता के लिए वर्ष 2011 में एमओयू हस्ताक्षरित किया गया। एमओयू के समय परियोजना की संभावित लागत रूपये 2082.75 करोड़ (परियोजना लागत) एवं रुपये 180.94 करोड़ (भूमि लागत) थी जिसमें राजस्थान सरकार द्वारा परियोजना लागत का 50 प्रतिशत वहन किया जाना था और राजस्थान एवं मध्यप्रदेश में पड़ने वाली भूमि अधिग्रहण की लागत राजस्थान सरकार द्वारा वहन की जानी थी। सांसद डाँगी ने कहा कि राजस्थान सरकार द्वारा रेलवे को प्रथम किश्त रूपये 200 करोड़ का भुगतान मार्च 2011 में कर दिया गया और इस परियोजना का शिलान्यास दिनांक 30 जून 2011 को कर दिया गया। परन्तु समय पर कार्य प्रारम्भ नहीं किये जाने से वर्तमान में परियोजना एवं भूमि अधिग्रहण लागत कई गुणा बढ़ गई है। जिसे राजस्थान सरकार इसे वहन करने में सक्षम नहीं है। उन्होंने कहा कि राजस्थान के मुख्यमंत्री द्वारा प्रधानमंत्री को अवगत कराया है कि राजस्थान सरकार बढ़ी हुई परियोजना लागत वहन करने में सक्षम नहीं है। इसलिए रेलवे व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाते हुये इस महत्वपूर्ण परियोजना को स्वयं के संसाधनों से पूर्ण करवाये। हांलाकि मध्यप्रदेश एवं राजस्थान में भूमि अधिग्रहण की लागत का भुगतान राजस्थान सरकार द्वारा किया जावेगा। इस प्रकरण में नीति आयोग के साथ राजस्थान सरकार की चर्चा 06 अगस्त 2021 अनुसार परियोजना के जन-जातीय क्षेत्र से संबंधित होने के दृष्टिगत रेल मंत्रालय द्वारा Exception-based अनुमोदन दिया जाकर इस परियोजना में केन्द्रीय बजट 2022-23 में प्रस्तावित पूंजीगत व्यय से राजस्थान सरकार के प्रस्ताव को स्वीकार किये जाने की मांग की।
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