राष्ट्रीयकृत बैंकों की ऑडिट प्रावधानों को पूर्ववत् रखा जाए - नीरज डाँगी
राष्ट्रीयकृत बैंकों की ऑडिट प्रावधानों को पूर्ववत् रखा जाए - नीरज डाँगी
                                                                             
आबूरोड। सांसद नीरज डॉगी ने राज्यसभा सत्र के दौरान शून्यकाल में प्रश्न उठाते हुए कहा कि भारतीय रिर्जव बैंक के प्रावधानों के अनुसार राष्ट्रीयकृत बैंकों की 20 करोड़ से अधिक व कम एडवांसेस वाली शाखाओं की ऑडिट हेतु 17 मार्च 2022 को परिपत्र जारी कर ऑडिट प्रावधानों वाली शाखाओं में एडवांस को घटाकर 80 प्रतिशत किये जाने से लगभग 50 प्रतिशत शाखाएँ ऑडिट के दायरे से बाहर हो गई है जो बैंकिंग स्वास्थ्य के अनुकूल नहीं है। इससे वित्तीय अनियमितताओं को बढ़ावा मिलेगा और जमाकर्ताओं के खून-पसीने की गाढी कमाई के डूबने की आशंका अधिक होगी यह ना तो जमाकर्ताओं के हित में होगा और न ही देश के हित में उन्होंने इस परिपत्र को जनहित में तत्काल प्रभाव से रद्द किये जाने की मांग की। सांसद डाँगी ने सदन में कहा कि भारतीय रिर्जव बैंक के प्रावधानों के अनुसार राष्ट्रीयकृत बैंकों की 20 करोड़ से अधिक के एडवांसेस वाली शाखाओं की शत-प्रतिशत व 20 करोड़ से कम एडवांसेज वाली शाखाओं में 20 प्रतिशत शाखा की ऑडिट चार्टर्ड एकाउंटेंटस द्वारा करवाई की जाती रही है। परन्तु भारतीय रिर्जव बैंक द्वारा 17 मार्च 2022 को जारी परिपत्र के अनुसार बैंक शाखाओं की ऑडिट वाले प्रावधान में एडवांस को घटाकर 80 प्रतिशत कर दिया गया है। इस नये प्रावधान से करीब 50 प्रतिशत शाखाएँ ऑडिट के दायरे से बाहर हो गई है। जो कि देश के बैंकिंग स्वास्थ्य के अनुकूल नहीं है। उन्होंने कहा कि वर्तमान परिदृश्य में आये दिन वित्तीय अनियमितताओं के कारण बैंक लाइसेंस रद्द किये जा रहे है व जमाकर्ताओं की खुन पसीने की गाढ़ी कमाई के डुबने की आशंका लगातार बनी रहती है। डाँगी ने कहा कि जनहित में वित्त मंत्रालय द्वारा भारतीय रिर्जव बैंक के इन नवीनतम प्रावधानों को वापस लेकर पूर्व के प्रावधानों के अनुसार ऑडिट व्यवस्था को बहाल किया जाना चाहिये यही जमाकर्ताओं और देश के हित में होगा।
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