कुशलगढ़ में राम कथा के छठे दिन.....जिस घर में बेटी पिता से डरती है, उसके पिता को समाज से नहीं डरना पड़ता है*

 *कुशलगढ़ में राम कथा के छठे दिन.....जिस घर में बेटी पिता से डरती है, उसके पिता को समाज से नहीं डरना पड़ता है*



 


*राम के पिता दशरथ कैलाश राव माता कौशल्या देवी के रूप में आशा देवी राव सती सीता की माता पूर्व पालिकाध्यक्ष ललिता सोनी पिता ओमप्रकाश सोनी झांकी में बने हुए थे उन चारों पात्रो को देखने के लिए उपस्थित भक्तजनों ने तालियां बजाकर स्वागत भी किया*

*कथा वाचक गौ संत श्री रघुवीर दास जी महराज* ने कहा कि हर घर में बैठा जनक रुपी पिता दहेज रूपी धनुष के कारण विलाप कर रहा है।

 

कुशलगढ़ के गांधी चौक में नौ दिवसीय चल रही संगीतमय रामकथा के छठे दिन मंगलवार को कथा वाचक गौ संत श्री रघुवीर दास जी महराज ने फुलवारी तथा सीता राम विवाह की कथा सुनाई। उन्होंने जब राम विवाह का प्रसंग सुनाया तो मानो सभी श्रोताओं को लगा कि वह भगवान राम के विवाह में ही शामिल हो गए हैं।


बताते चलें कि जय श्री राम के उद्घोष के बीच जैसे- जैसे समय गुजरता गया कथा का रसपान कराते हुए कथा वाचक ने कहा कि जहां भक्ति विलाप करती है, वहां विनाश होता है और जहां भक्ति प्रसन्न होती है वहां प्रकाश होता है। आज हर घर में बैठा जनक रुपी पिता दहेज रूपी धनुष के कारण विलाप कर रहा है। कथा को आगे बढ़ाते हुए गौ संत श्री रघुवीर दास जी महराज ने कहा कि सीता जी मां गौरी पूजन के लिए फुलवारी से फूल तोड़ने के लिए जाती हैं। उसी फुलवारी में भगवान राम का दर्शन होता है। सीता की नजर राम पर पड़ती है तो वह मोहित हो जाती है। दूसरी तरफ भगवान राम को सीता के नुपुर की आवाज मोहित करती हैं। गौरी की पूजा करते समय सीता जी अपने वर के रूप में राम को मांगती हैं। 


राम विवाह के दृश्य का रसपान कराते हुए श्रोताओं को बताया कि राजा जनक गुरु विश्वामित्र के साथ राम व लक्ष्मण को धनुष यज्ञ शाला ले गए। यहां पर देश विदेश के राजा सुंदर सिंहासन पर विराजमान थे। राजा जनक ने अपनी प्रतिज्ञा के बारे में सभी को अवगत कराया कि जो इस धनुष को तोड़ेगा उसके साथ सीता का विवाह होगा। सभी राजाओं ने बारी बारी से धनुष तोड़ने का प्रयास किया लेकिन सभी असफल रहे। लंका का राजा रावण भी धनुष तोड़ने का प्रयास करता है लेकिन एक भविष्यवाणी ने उसे विचलित कर दिया। राजागण के धनुष न तोड़ पाने के कारण निराश राजा जनक को देखकर गुरु विश्वामित्र का इशारा पाकर राम धनुष की प्रत्यंचा चढ़ाते हैं तो अन्य राजा आश्चर्यचकित हो जाते हैं। धनुष टूटने के बाद राम व सीता एक-दूसरे के गले में जयमाल डाल देते हैं। धनुष टूटते ही फूलों की वर्षा शुरू होती है।


व्यास पीठ पर विराजमान कथा वाचक गौ संत रघुवीर दास जी महराज ने राम विवाह प्रसंग से संबंधित कई मधुर भजनों को बेहतरीन प्रस्तुति देकर श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। मौके पर 


सहित बड़ी संख्या में महिला एवं पुरुष श्रद्धालु उपस्थित थे ।

निर्माण कमेटी के संरक्षक कैलाश राव समिति के अध्यक्ष उद्योगपति मुकेश अग्रवाल 

नगर पालिका उपाध्यक्ष नितेश बैरागी राजू भाई प्रजापत मधुसूदन व्यास नाथू भाई मईडा हरेंद्र पाठक विप्रो के हेमेंद्र पंड्या हर्षवर्धन पंड्या पार्षद पायल पंड्या संजय चौहान ललित जोशी कमलेश शांति देवी पंचाल अरुणा बैरागी पदमा पंड्या राहुल पंचाल Pa कांता पंचाल आदि उपस्थित थे

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