वैदिक और लौकिक संस्कृतसाहित्य में प्रगाढ़ सामाजिक समरता

 वैदिक और लौकिक संस्कृतसाहित्य में प्रगाढ़ सामाजिक समरता


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संस्कृत भारती राजस्थान क्षेत्र के प्रशिक्षण शिविर में आज

चितौड़प्रान्त शिक्षणप्रमुख श्री मीठालाल माली  ने वैदिक और लौकिक संस्कृतसाहित्य में सामाजिक समरता के बारे में कृष्ण-सुदामा , सबरी- राम तथा रामानुजाचार्य, वेदव्यास वाल्मीकि, वशिष्ठमुनि  आदि के विशिष्ट उदाहरणों द्वारा आधुनिक समाज में अस्पृश्यता को त्यागने , महिला भेदभाव निवारण के लिए तथा राष्ट्रीय एकता के लिए अपने वचनों के द्वारा प्रेरित किया। इस अवसर पर संस्कृत भारती संगठन मंत्री श्री हुलास चन्द्र  शर्मा डॉ. तगसिंह राजपुरोहित, श्री मधुसूदन 

श्रीताराचंद रेपस्वाल मधुसूदन शर्मा, लक्ष्मण सिंह गहलोत कैलाश सुथार, उदयन , मानाराम चौधरी निशा 

श्रीमती अरुणा व्यास वैष्णवी,वेदिका,अणिमा,मोना पलक, भूमिका रेपस्वाल शुभम शर्मा  नमन हर्षित सारस्वत कौशल सारस्वत आदि उपस्थित थे।

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