कानपुर से प्रयागराज तक सूखने लगी गंगा, उभर आए रेत के टीले, डुबकी लगाना भी कठिन*

 *कानपुर से प्रयागराज तक सूखने लगी गंगा, उभर आए रेत के टीले, डुबकी लगाना भी कठिन*

सुभाष तिवारी लखनऊ


*प्रयागराज* गंगोत्री से गंगासागर तक करोड़ों लोगों के जीवन और आजीविका का आधार बनी जीवनदायिनी प्रयागराज में अब खुद प्यासी तड़प रही है। यह हाल सिर्फ तीर्थराज में ही नहीं है, इसके ऊपर भी है। कानपुर, फतेहपुर, रायबरेली, कौशांबी व प्रतापगढ़ में भी गंगा में घुटने भर पानी कम हो गया है। सबसे ज्यादा श्रृंगवेरपुर से संगम तक हालत खराब है। यहां गंगा की धारा कई स्थानों पर सिमट गई है। धारा में जगह-जगह रेत के टीले बन गए हैं। यही नहीं इस क्षेत्र में गूगल मैप पर भी गंगा सूखी नजर आ रहीं। मैप पर संगम के ऊपर फाफामऊ और कुरेसर घाट तक तो पानी दिख ही नहीं रहा है।


*पावन संगम में श्रद्धालुओं को बैठ कर करना पड़ रहा स्नान*


संगम में गंगा का पानी इतना कम हो गया है कि श्रद्धालुओं को बैठकर डुबकी लगानी पड़ रही है। मतलब घुटने के नीचे तक ही पानी है। श्रृंगवेरपुर के नीचे कुरेसर घाट और इसके आगे बेहद कम पानी है। सिंचाई विभाग के मुताबिक लगभग 20 वर्षों बाद मई माह में गंगा का जलस्तर ढाई हजार क्यूसेक पर आ गया। हां, संगम पर यह बढ़कर लगभग 5500 क्यूसेक हो जा रहा है। पिछले साल यहां गंगा का जलस्तर नौ हजार हजार क्यूसेक था। वैसे पिछले साल मई माह में बारिश भी हुई थी, जिससे जलस्तर दुरुस्त हो गया था।


इस वर्ष गंगा में बेहद कम पानी होने से श्रद्धालुओं, तीर्थपुरोहितों, संतों की चिंता बढ़ गई है। तटवर्ती इलाकों में रेत पर उगाई जाने वाली फसलों की सिंचाई का भी संकट पैदा हो गया है। भूजल स्तर खिसकने के चलते नलकूप से रेत तक पानी लाना पड़ रहा है। प्रयागराज, प्रतापगढ़, कौशांबी, भदोही, मीरजापुर, चंदौली व वाराणसी में बड़ी संख्या में गंगा किनारे के लोग रेत पर सब्जी व मौसमी फल तथा फूल की खेती करते हैैं जिन्हें इस बार नुकसान उठाना पड़ रहा है।


*खास बातें*


-20 साल में पहली बार इतनी सूखी दिखी पतितपावनी


-5500 क्यूसेक पानी ही रह गया है संगम पर गंगा में


-2500 क्यूसेक ही पानी है फाफामऊ समेत कई स्थानों पर


-15000 क्यूसेक से कभी कम नहीं हुआ मई में गंगा का पानी


*जानिए क्या कहते हैं किसान*


पहली बार गंगा की रेत में खोदाई करने पर पानी नहीं निकल रहा, जिससे नलकूप का पानी पाइप के जरिए रेत में लाकर तरबूज, खरबूज और सब्जियों की सिंचाई हो रही है।


*बृजमोहन यादव, सोनौटी, झूंसी*


पहले गंगा में काफी पानी होता था जिससे रेत में सब्जी की खेती अच्छी होती थी मगर इस साल पानी कम होने से सब्जी का उत्पादन भी प्रभावित हो गया है।


*राजकुमार पांडेय, दारागंज*


इस साल गंगा में पानी कम होने से सब्जी का उत्पादन कम हो गया है। पहले करेला, लौकी, ककड़ी-खीरा बहुत होता था मगर इस साल कम हो गया है।


*शोभालाल यादव, घुरवा, झूंसी*


गंगा की रेत पर खेती से साल भर का परिवार का खर्च आ जाता था मगर इस साल मुश्किल हो रहा है। पानी न मिल पाने से तरबूज-खरबूज में फल ही कम आ रहे।


*सोनू, दारागंज*


गंगा में पानी कम होने की कई वजह है। गर्मी में वैसे भी पानी कम हो जाता है, ऊपर से कई स्थानों पर नहरें भी चलने लगी हैैं। कानपुर और हरिद्वार बैराज से भी पूरी क्षमता से पानी नहीं छोड़ा जा रहा है। इसी कारण गंगा का जलस्तर न्यूनतम स्थिति में पहुंच गया है। बारिश होने पर जलस्तर मेंटेन हो जाएगा।


*बृजेश कुमार, अधिशासी अभियंता, सिंचाई विभाग, बाढ़ खंड*


अगर समय रहते गंगा के न्यूनतम प्रवाह को लेकर नहीं चेता गया तो आने वाले समय में तीर्थराज में संकट बढऩे से इन्कार नहीं किया जा सकता, क्योंकि प्रयागराज शहर भूगर्भ जल के मामले में डार्कजोन में आ गया है।


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