आजादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत काव्य गोष्ठी भावों से भरे दिल में हिन्दुस्तान रखते हैं

 आजादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत काव्य गोष्ठी


       भावों से भरे दिल में हिन्दुस्तान रखते हैं      



      बीकानेर | अखिल भारतीय साहित्य परिषद एवं जाम्भाणी साहित्य परिषद के संयुक्त तत्वावधान में आजादी का अमृत महोत्सव के अंतर्गत “राष्ट्रीय जागृति के स्वर एवं काव्य गोष्ठी में अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए समाजसेवी राजाराम धारणिया ने कहा कि इस कार्यक्रम में तीन घंटे कैसे चले गए, पता ही नहीं चला | एक से बढ़कर एक रचनाएं आ रही थी कि मेरा मन करता रहा कि इन लोगों को मैं बराबर सुनता रहूँ | मुझे गर्व होता है कि हमारे बीकानेर में इतने अच्छे मीठे सुरों वाले रचनाकार हैं जिनके शब्दों में दम है तो प्रस्तुतिकरण भी लाजवाब है | देश के किसी बड़े कवि सम्मेलन से इस गोष्ठी को मैं कम नहीं आंक सकता | साहित्य परिषद के क्षेत्रीय संरक्षक रमेश शर्मा ने साहित्य में बीकानेर के गौरवशाली इतिहास और वर्तमान की प्रस्तुतियों की सराहना करते हुए कहा कि यहाँ का भविष्य उज्ज्वल है |


      कार्यक्रम की शुरुआत में अतिथियों ने मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलित किया | डॉ.कृष्णा आचार्य ने सरस्वती वंदना करते हुए अपनी राजस्थानी रचना सुनाई, वरिष्ठ ओजस्वी कवयित्री प्रमिला गंगल ने- बीज बोते हम धरती को बंजर नहीं रखते, जो दम रखते हैं छाती में तो कुछ करके दिखाते हैं, तमाशा बन चले ऐसा कोई मंजर नहीं रखते, इंजीनियर आशा शर्मा ने –“सरहद की पाती से”-कर्तव्यों की कठिन राह को रोशन करते प्रेम लिए, चौकस नजरें सीमा पर है दिल में तेरी याद लिए, राजाराम स्वर्णकार ने- मेरी धरती मेरा अंबर मेरा देश महान है, प्राणों से भी बढ़कर प्यारा मेरा हिन्दुस्तान है, लीलाधर सोनी ने- महाराणा प्रताप की गाथा, राजेन्द्र स्वर्णकार ने-धोरों वाली धरती के ठाठ ही निराले हैं सुनाकर तालियाँ बटोरी | कार्यक्रम का संचालन करते हुए हास्य-व्यंग्य कवि बाबू बम चकरी ने-जबां पर भावना अपनी हम भी अधरों पे रखते हैं, गमों की बदरिया छाए मगर सूरज को तकते हैं, जमाने भर के झंझावात खामोशी से सहते हैं, तभी तो दुनिया वाले लोग हमें आदर्श कहते हैं सुनाकर शोर्य के साथ हास्य का तालमेल बिठाया | प्रांत उपाध्यक्ष एवं कवयित्री मौनिका गौड़ ने-भावों से भरे दिल में हिन्दुस्तान रखते हैं मेरे भारत का तुम बच्चों ज़रा सा ध्यान रखा लेना, लहू के दम पे पायी थी हमने आजादी, तुम अपनी जां देकर भी यह अभिमान रख लेना, संजीव कश्यप ने वेद की ऋचाएं भूले को मारग दिखाती है, माया से बाहर होकर विश्व हिंदुत्व को अपना रहा, जाम्भाणी साहित्य परिषद के कृष्णलाल विश्नोई ने शिवाजी राजा आयो रे देख दुश्मन घबरायो रे, कैलाश टाक ने- भगतसिंह जैसी देश भक्ति आ जाए, जीने से पहले देश पे मरने की शक्ति आ जाए, जुगलकिशोर पुरोहित ने- मात-पिता तेरी गोद में सब कुछ सीखा है सुनाकर कवि गोष्ठी को उंचाइयां प्रदान की | कार्यक्रम में मधुरिमासिंह, डॉ.नरसिंह बिन्नाणी, ज्योति स्वामी, राजस्थान क्षेत्र के अध्यक्ष डॉ.अन्नाराम शर्मा, प्रांत अध्यक्ष डॉ.अखिलानंद, महानगर अध्यक्ष विनोद ओझा, के साथ भीलवाड़ा से आए शिवराज विश्नोई ने भी अपने भाव प्रकट किए | प्रांत महामंत्री कर्णसिंह बेनीवाल ने सभी के प्रति आभार ज्ञापित किया |


                                                                        

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