महान आदिवासी समाजसेवक के घर पहुंचे :::::::व्ही.व्ही लक्षमीनाराय।

 *महान आदिवासी समाजसेवक के घर पहुंचे :::::::व्ही.व्ही लक्षमीनाराय।*


  

संवादाता: योगिता तांबोळी 

       हैदराबाद से लक्षमीनाराय जी ने कहा मे पुणे ग्रामीण पुलिस अधीक्षक का कार्य करता था तब मेरी पहचान एक महान आदिवासी पारधी समाजसेवक श्री नामदेव भोसले हुई।उनके महान विचारधारा सुनकर मे अचंभित हो गया कि,एक किताब बेचने वाला लडका अपने समाज को चोर,लुटेरा नाम का कलंक मिटाने के लिए कार्य करने का सपना देखते है उतनी ही लगन से यह हर एक चुनौती का सामना करता है ,एक दिन मै नामदेव के घर पहुचा।,

        नामदेव का घर एक झोपडी थी जहा उसके माता- पिता बैठे थे उनके विचार भी उनके बेटे की तरह निस्वार्थ थे यह जानकर मुझे बहुत खुशी हुई। मै हमेशा नामदेव की तारीफ और मदद करता रहा कुछ समय बाद मेरी बदली होती रही मे महाराष्ट्र का अप्पर पुलिस महासंचालक पदावर का कार्य करते समय चार बार नामदेव के घर जाने का अवसर प्राप्त किया है।,उनके कार्य इतने महान है कि देश के बडे-बडे कार्यकर्ता भी शर्मिंदगी महसूस करेंगे। दुनिया मे व्यक्ति पैसे कमाने के चक्कर मे भाग रहे है।

  लेकिन समाज का कलंक मिटाने के लिए शासकीय और सामाजिक स्तर पर अनेक प्रयास किए जाते है और पुणे के उरली कांचन के पारधी समाज के नामदे भोसले बचपन से ही हमेशा नदी किनारे जंगल मे तंबू डालकर यही सोचते थे हम गरिब भिक्षुक रस्ते पर अपना पेट भरनेवाला कक्षा नौवी मे आते आते चौदह स्कूल बदले और छियालिस गाव का सफर करके पुस्तक विक्रेता बनता है। हमेशा दूसरों के सूख दूख के बारे मे सोच विचार करना उनकी आदत सी बन चुकी थी।

नामदेव ने भाषा बोली  अनिष्ठ ऋषी परंपरा, समाज व्यवस्था का चित्रण अपनी किताब " मराशी,व ये हाल " मे किया है।समाज को उजागर करने केसात  तेरह कोटी आदिवासी मनुष्य जोडने का कार्य वह करते रहे !बाईस वर्ष से वह आज भी कार्य कर रहे है आज पारधी और पुलिस के बीच की खाई मिट चूकि है आज दोस्ती का नया रिश्ता बन चुका है। आमदेव चालीस हजार बेगुनाह के घरो को गाव मे बसा चूके है। लडकी होने के कारण पतीने छोड दिया हो! ऐसी लडकी के साथ विवाह कर के समाज मे एक आदर्श कार्य उन्होंन कर दिखाया,महाराष्ट्र के आदिवासी पारधी समाज के बच्चो को स्कूल मे पढाई लिखाई किताब के साथ जन्म दाखिला के साथ जोडे जानेवाले दस्तावेज घरपर पहुचाते थे आज भी आधार कार्ड बनाने मे सहायता करते है,हजारो समस्या वह गाव मे जाकर मिटाते है साथ ही वृक्षारोपण करते है,कोरोना काल मे मित्र परिवार कि मदद से ग्यारह हजार बाजार किट गरिबो को देने का कार्य किया है । आज लोगो की नजर मे शांतिदूत बन गए है, इस की मदद/ परिणाम पुलिस और महाराष्ट्र शासन को हो रही है इसी तरह निस्वार्थ कार्य करते रहे यह लक्षमीनाराय जी की मनोकामना है आगे हैदराबाद, तैलंगणा, आंध्र प्रदेश मे आगे के कार्य करते रहे वहा आदर्श कार्य करने का उनका सपना है। हैदराबाद के आदिवासी समाज कार्य करताओ के साथ वार्तालाप करते हुए  लक्षमीनाराय जी अपनी प्राप्त अनुभव बता रहे थे।इस समय आदिवासी संशोधक - लेखक भास्कर भोसले,राष्ट्रिय आदिवासी संघटना के मा. अध्यक्ष  गोपी काले ,आदिवासीं  समाजसेवक साहित्यिक नामदेव भोसले,बलवर पवार,कुणाल भोसले,सचिव भोसले,स्वप्रित भास्कर भोसले,रोहित भोसले आदि  सामाजिक कार्य करता मौजूद थे।

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