डेंगू बुखार होने पर चिकित्सक के परामर्श के बिना दवा खाना है खतरनाक - (डीएमओ)
डेंगू में एंटीबायोटिक दवा खाने से प्लेटलेट्स तेज़ी से होती है कम, बढ़ जाता है खतरा
सुभाष तिवारी लखनऊ
प्रयागराज, 15 दिसंबर: यदि हल्की फुल्की स्वास्थ्य समस्या में आकस्मिक स्थित में आप अपनी मर्जी या मेडिकल स्टोर की सलाह पर दवा खाकर ठीक हो जा रहे हैं तो यह आवश्यक नहीं कि इसको आप सदैव अपनाने लगिए। डेंगू जैसी बीमारी में यह आदत आपके लिए घातक हो सकती है।
जिला मलेरिया अधिकारी आनंद सिंह ने बताया कि किसी भी बीमारी की दवा बिना चिकित्सक के परामर्श के प्रयोग में नहीं लेनी चाहिए। डेंगू हो या कोई अन्य बीमारी अपने मन से दवा का प्रयोग मरीज के स्वास्थ के लिए कभी कभी जानलेवा भी साबित हो सकता है। डेंगू की जांच के लिए एलाइजा विधि से जाँच में डेंगू की पुष्टि होने पर ही मरीज़ को डेंगू से पीड़ित माना जा सकता है।
उन्होंने बताया कि वैसे तो आम बुखार का मौसमी बुखार होने पर एंटीबायोटिक दवाएँ दी जाती हैं लेकिन डेंगू का बुखार होने पर चिकित्सक कभी एंटीबायोटिक दवाएँ नहीं देते हैं। जब व्यक्ति बुखार से पीड़ित होता है तो उसके शरीर में कमजोरी आती है और खून में प्लेटलेट्स कम हो जाती हैं। ऐसे में एंटीबायोटिक या दर्द की दवाओं से शरीर में प्लेटलेट्स और कम हो जाते हैं जो कि मरीज़ को और ज्यादा ख़राब स्थिति में पहुंचा सकता है। इसलिए बुखार होने पर केवल पैरासिटामाल ही लें और अगर 2-3 दिन में बुखार नहीं जाता है तो चिकित्सक को दिखाएँ, जाँच कराएँ और जाँच के बाद चिकित्सक के अनुसार दवाओं का सेवन करें।
गर्भवती, बच्चों का रखें खास ख्याल
गर्भवती व बच्चे इनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। यदि गर्भवती या बच्चों को डेंगू या अन्य संक्रामक रोग होते हैं तो उनको एक स्वस्थ व्यक्ति की अपेक्षा बहुत ही ज्यादा खतरा होता है। इसलिए इन्हें खास तौर पर विशेषज्ञ चिकित्सक की सलाह के बाद ही कोई दवा दें।
डेंगू मरीज के लक्षण पहचाने
ठण्ड लगने के साथ अचानक तेज बुखार आना, मांसपेशियों और जोड़ो में दर्द होना, आंख के पिछले भाग में दर्द होना, बहुत कमजोरी लगना, भूख कम लगना, गले में दर्द होना, शरीर पर लाल चकत्ते आना आदि।
निजी चिकित्सालय, नर्सिंग होम व पैथोलॉजी सेंटरों को निर्देश
आनंद सिंह ने बताया कि सभी निजी चिकित्सालय, नर्सिंग होम व पैथोलॉजी सेंटरों को निर्देश के साथ पत्र जारी किया गया है। पत्र में डेंगू, मलेरिया या किसी भी वेक्टर जनित रोगों की जाँच, उपचार में सावधानी बरतने और मरीज़ में रोग की पुष्टि होने पर उसकी सूचना सी.एम.ओ. कार्यालय को उपलब्ध करने और जाँच सैंपल को मेडिकल कॉलेज की माइक्रोबायोलॉजी लैब भेजने के निर्देश दिए गये हैं।