IAS की परीक्षा में प्रतापगढ़ के लाल चैतन्य मिश्रा का हुआ चयन,जिले का बढ़ाया मान

 IAS की परीक्षा में प्रतापगढ़ के लाल चैतन्य मिश्रा का हुआ चयन,जिले का बढ़ाया मान



सुभाष तिवारी लखनऊ


प्रतापगढ़।उत्तर प्रदेश के बड़के जिले प्रतापगढ़ के लाल ने आईएएस की परीक्षा में अपना स्थान बनाया है।प्रतापगढ़ के लाल ने दूसरी कोशिश में ये सफलता हासिल करते हुए जिले का मान बढ़ाया है।सोमवार को रिजल्ट आने पर परिजन और गांव के लोग खुशी से झूम उठे।एक दूसरे को लड्डू खिलाकर बधाई दी।


आपको बता दें कि जिले के बाबा बेलखरनाथ धाम ब्लाक क्षेत्र के गहरीचक गांव के रहने वाले सुधांशु मिश्रा के बेटे चैतन्य मिश्रा ने यूपीएससी परीक्षा 2021 में 397वीं रैंक हासिल कर जिले का मान बढ़ाया है।चैतन्य के यूपीएससी परीक्षा में चयन होने की सूचना जब गहरीचक गांव पहुंची तो चैतन्य के परिजन और गांव के लोग खुशी से झूम उठे।लोगों ने एक दूसरे को मिठाई खिलाई और जमकर खुशियां बांटी।चैतन्य को मिली सफलता पर परिजनों ने उनको फोन कर बधाई दी।बरहाल चैतन्य अभी दिल्ली में हैं। राजधानी लखनऊ में रहकर पढ़ाई करने वाले चैतन्य बचपन से ही तेज बुध्दि के थे।हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की मेरिट सूची में लखनऊ में सबसे ऊपर रहने वाले चैतन्य मिश्रा ने लखनऊ के बाबू बनारसी दास इंजीनियरिंग कॉलेज से बीटेक की पढ़ाई करने के बाद आईएएस की तैयारी में जुट गए।


राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में रहकर पढ़ाई करने वाले चैतन्य ने दूसरी ही कोशिश में ये सफलता हासिल की है।चैतन्य के पिता सुधांशु मिश्रा कामर्शियल पायलट की नौकरी छोड़कर मेडिकल कॉलेज के बच्चों को अंग्रेजी बोलना सिखाते थे।मां रेनू मिश्रा अपने दोनों बेटों की परवरिश करती थी।दो भाइयों में चैतन्य छोटा है और बड़ा भाई अंकुर मिश्रा हरिद्वार में योगा विषय से पीएचडी कर रहा है।चैतन्य शुरू से ही होनहार छात्र थे और शुरू से ही स्कॉलरशिप होल्डर थे।


आईएएस की परीक्षा में चयनित चैतन्य मिश्रा ने ये साबित कर दिया है कि लगन से किया गया कोई भी कार्य बेकार नहीं जाता है।परिवार में कोई आईएएस नहीं था, लेकिन चैतन्य ने ये संकल्प लिया कि देश की सबसे बड़ी परीक्षा पास कर माता-पिता का नाम रोशन करेगा। चैतन्य की मानें तो हाईस्कूल के बाद कभी भी माता-पिता के पैसे से पढ़ाई नहीं की,बल्कि वजीफे ने चैतन्य की राह आसान कर दी। चैतन्य 397वीें रैक मिलने से संतुष्ट नहीं है। चैतन्य आईएएस की 2022 में होने वाली परीक्षा की तैयारी के लिए दिल्ली में हैं। 


चैतन्य मिश्र ने बताया कि किसी भी कार्य के लिए निष्ठा और समर्पण आवश्यक है। जब तक किसी कार्य को दिल लगाकर नहीं किया जाएगा तब तक अपेक्षित सफलता मिलने वाली नहीं है।पिता कामर्शियल पायलट की नौकरी छोड़कर बच्चों को कोचिंग पढ़ाते थे। इससे शहर में रहकर इतना बड़ा खर्च चलाना संभव नहीं था। वजीफे के पैसे से पढ़ाई की।


हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा में कालेज में टाॅप करने वाले चैतन्य को इंजीनियरिंग की पढाई में टापर बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।पढ़ाई तेज चैतन्य शिक्षकों के नजदीक रहना और पढ़ाई में आने वाली कठिनाई के लिए सहयोग लेना उनकी आदत बन गई थी।संस्थान से इतना वजीफा मिल जाता था कि उससे साल भर की पढ़ाई पूरी हो जाती थी। चैतन्य ने बताया कि गांव का परिवेश बहुत अचछा है, लेकिन प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिहाज से ठीक नहीं है। गांव में रहने वाले बच्चों को उचित प्लेटफार्म नहीं मिल पाता है। इससे उनका सम्यक विकास नहीं हो पाता है। 


उन्होंने बताया कि वह गहरीचक में स्थित मिडिल स्कूल में कुछ दिनों पढ़ाई की थी। फिर वह माता-पिता के साथ लखनऊ में रहने लगे।चैतन्य अपनी सफलता से खुश है, मगर आईएएस की परीक्षा में मिली रैंक से संतुष्ट नहीं है। उन्होंने बताया कि आईएएस के वर्ष 2022 की परीक्षा देने की तैयारी कर रहे हैं।

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