निजी स्कूलों की फीस तय करने के लिए प्राधिकरण बनाने से पहले फीस एक्ट और सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना तय करवाये सरकार - संयुक्त अभिभावक संघ



निजी स्कूलों की फीस तय करने के लिए प्राधिकरण बनाने से पहले फीस एक्ट और सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना तय करवाये सरकार - संयुक्त अभिभावक संघ



--- अभिभावकों को राहत देने का भ्रम फैला रही है सरकार - अभिषेक जैन बिट्टू


जयपुर। प्रदेश में निजी स्कूलों की लगातार बढ़ रही मनमानियों और फीस के बोझ को कम करने को लेकर अभिभावक संघर्षरत है। विभिन्न मौकों पर प्रदेश के हजारों अभिभावकों ने राज्य सरकार से निजी स्कूलों की मनमानी के खिलाफ शिकायतें भी दर्ज करवाई किन्तु सरकार के कानों पर जू तक नही रेंगी। संयुक्त अभिभावक संघ ने राज्य के शिक्षा मंत्री डॉ बीड़ी कल्ला के बयान पर टिप्पणी करते हुए कहा कि उदयपुर में राज्यसभा चुनाव को लेकर चल रही बाड़ेबंदी में कैद होकर अभिभावकों में भ्रम फैलाने का प्रयास किया जा रहा है। राज्य सरकार और शिक्षा मंत्री को निजी स्कूलों की फीस तय करने के लिए प्राधिकरण बनाने से पहले फीस एक्ट और सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना तय करवानी चाहिए।


संयुक्त अभिभावक संघ प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा कि अगर राज्य सरकार और शिक्षा मंत्री डॉ बीड़ी कल्ला की मंशा अभिभावकों को राहत देने की होती तो अब तक फीस एक्ट 2016 कानून और पिछले वर्ष 3 मई 2021 को आये सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना सुनिश्चित हो जाती। किन्तु अभिभावकों को गुमराह करने और अगले साल होने वाले चुनाव से पूर्व फीस निर्धारण को लेकर प्राधिकरण बनाने का प्रोपोगंडा रचा जा रहा है। शिक्षा मंत्री एक तरफ प्रदेश में बेहतर शिक्षा व्यवस्था के दावे करते है वही सरकारी स्कूलों की हालात बद से बदतर देखी जा सकती है राजधानी जयपुर के झोटवाड़ा जैसे इलाके के सरकारी स्कूलों में बिजली तक कि व्यवस्था नही है, चारदीवारी का एक सरकारी स्कूल आजादी के समय बना था किंतु जब से बना है तब से अब तक स्कूल की मरम्मत नही हुई, बच्चों के बैठने के कुर्सी टेबल तो छोड़ो, फटी-पुरानी दरियों का इस्तेमाल हो रहा है, स्कूल का भवन ऐसा है कभी भी उसकी छत गिर सकती है जिससे कोई बड़ा हादसा होने का डर सदैव लगा रहता है। अब जब राजधानी में ऐसे हालात है तो प्रदेश के हालात वह खुद बयां कर देते है। आज तक राज्य सरकार वह आंकड़े तक नही जुटा पाई है जिन बच्चों की कोरोना काल मे लगे लॉकडाउन की वजह से पढ़ाई छूट गई है और ना उन बच्चों को न्याय दिलवा पाई है जिनकी फीस जमा ना होने के कारण पढ़ाई छूट गई।


अभिषेक जैन ने कहा कि महात्मा गांधी अंग्रेजी स्कूल के नाम पर राज्य सरकार खुद की पीठ थपथपा रही है जबकि हकीकत यह है कि इस वर्ष एक लाख 20 हजार बच्चों ने एडमिशन के लिए एप्लाई किया था जबकि मात्र 20 हजार सीट उपलब्ध होने के चलते एक लाख बच्चों को एडमिशन तक नही मिला, जिन बच्चों को एडमिशन मिला उसमें भी धांधलियां की गई और चहेतों के बच्चों को एडमिशन दिया गया। गरीब परिवारों के बच्चों को एडमिशन ही नही दिया गया।


*स्कूल और कॉलेजों में पनप रही " गुंडा गैंग " की जिम्मेदार सरकार, प्रशासन और माफिया*


प्रदेश अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल ने कहा कि स्कूल, कॉलेजों जैसे शिक्षा के मंदिरों में चल रही " गुंडा गैंग " की खबर बेहद दुख दायक है, शिक्षा के मंदिरों में अगर यह पनप रही है तो यह शिक्षा पर सबसे बड़ा सवाल है। अगर यह स्कूल और कॉलेजों में पनप रही है तो उसके लिए राज्य सरकार, प्रशासन और शिक्षा माफिया है। जो प्रदेश में कानून की पालना तय करवाना ही नही चाहते है। अमीर और गरीब बच्चों में अंतर कर उन्हें लड़ाई, झगड़ो के लिए उकसाते है। स्कूल और कॉलेज केवल फीस के लिए अभिभावकों से संपर्क करते है, जबकि शिक्षा को लेकर इनका कोई ध्यान ही नही है। आज अगर स्कूल और कॉलेजों में क्राइम बढ़ रहा है तो केवल शिक्षा माफियाओं की वजह से बढ़ रहा है और इसका दूसरा सबसे बड़ा कारण है सरकार और प्रशासन की लापरवाही जो निजी स्कूलों और कॉलेजों की शिकायत पर सुनवाई ना कर शिक्षा माफियाओं को संरक्षण दे रहे है।

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