शिक्षा वही है जो प्रकृति से समन्वय स्थापित कर सके-विकासराज*

 *शिक्षा वही है जो प्रकृति से समन्वय स्थापित कर सके-विकासराज*


*ललित गोलेछा की रिपोर्ट*

कुशलगढ़ 19 जून। मदारश्वर विद्या निकेतन विद्यालय परिसर में आयोजित

विद्या भारती संस्थान बांसवाडा द्वारा आयोजित सप्तदिवसीय नवीन आचार्य एवं शिशुवाटिका अभ्यास वर्ग का दीक्षांत समारोह के अतिथि में मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ बांसवाडा के विभाग प्रचारक विकासराज जी रहे। विद्या भारती सन्स्थान बांसवाडा के अध्यक्ष रमेशजी ब्रजवासी ने अध्यक्षता की।

कार्यक्रम की शुरुआत में गोमती शंकर पंड्या ने मंगलाचरण व वन्दना करवाई गई।

अतिथि स्वागत कुशलगढ़ प्रधानाचार्य कैलाश राव ने किया।

वर्ग परिचय एवम सप्त दिवसीय पूर्ण आवासीय शिविर का समग्र प्रतिवेदन जिला सचिव ललित दवे द्वारा रखा गया।

आचार्या पीनल दीदी ने अवतरण एवं प्रधानाचार्य गोपाल सिंह राव ने भाव गीत गाया।

मुख्य वक्ता विकासराज जी ने उद्बोधन में कहा कि आत्मवत सर्व भूतेषु भारतीय दर्शन व चिंतन रहा है। यहां प्रशिक्षण प्राचीन पद्धति रही है।हमे क्या करना हैं ?

 इस लक्ष्यात्मक भाव की सफलता के लिए आचार्य दीदी को प्रशिक्षित किया जाता है।विद्यालय में शिशुवाटिका कई संकल्पना में वाटिका के भाव से नन्हे बालको को भारतीय दर्शन, क्रिया पद्धति व मानवीय मूल्यों की शिक्षा से पोषण करने का पवित्र ध्येय है।बालक चराचर जगत के प्राणी मात्र के प्रति दया का भाव रखते हुए जीवन जिए।

उन्होंने कहा कि हम जीव, जंतु, वनस्पति,नदी, पहाड़,पर्वत,पेड़,पौधे के पूजक रहे है।पुस्तकीय ज्ञान के साथ व्यवहारिक ज्ञान एवं प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के भावों को जीवन में स्थाई बनाए रखने के प्रयास शिक्षा की सार्थकता है।

विद्या भारती के विद्यालय में जीवन मूल्यों की शिक्षा मातृभाषा में देकर बालक का सर्वांगीण विकास किया जाता है जो समय की महती आवश्यकता हैं।

रमेश ब्रजवासी ने कहा कि स्वभाषा,स्वभूषा,स्वसंस्कृति,

स्वदेश के भाव बालको में जगाए जाएं। हमारी शिक्षा का आधार मातृभाषा रहे जिससे बालक के समग्र विकास हो।प्रशिक्षण काल मे सीखी गई बाते विद्यालय में बालको नियमित जीवन का हिस्सा बने यह प्रयास अत्यावश्यक है।

समारोह का संचालन बौद्धिक प्रमुख शिवगिरि गोस्वामी ने किया।

वर्ग में जिले के विद्या भारती के विद्यालयों से 45 आचार्य दीदी ने भाग लिया।प्रधानाचार्य एवं समाज से विषय विशेषज्ञ नेअलग अलग सत्र में उपस्थित होकर प्रबोधन प्रदान किया।

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