एक लेखक की कहाणी ?

 एक लेखक की कहाणी ? 



समाज मे हर एक तरह के व्यक्ती मिलते हें . हर एक को एक कुछ ना कुछ आदत रहती है .कभी कभी वही आदत उसका करियर बना देती है . दरसल आज बात करेगे एक लेखक की , लेखक हर एक की कहाणी लिख ता है , आज हम उस लेखक की कहाणी लिखेगे . जी हा निलेश रमेश परब , मूंबई घाटकोपर मे एक छोटे वस्ती मे रहणे वाला लेखक , जिस का मूल गांव कुडाल है ,केवल 12 कक्षा तक का सफर और उसके बाद कुछ साल नोकरी , लेकिन दोनहो मे भी उसे उतनी रुचि नही थी , उसे कुछ बडा करना था. लेकिन कया करना है , यह सवाल उसंके जिंदगी मे थे , जब वह जॉब से घर आता था तब घर मे मराठी सिरियल घर के लोंग देखते थे , तब उन्हे भी लगता था , शायद हम भी इनके जैसा बने , लेकिन कैसे बने यह सवाल था. लेकिन मन मे निश्यय कीया था, और ऐसे ही पहचान से ऑडिशन देणे लगा , और फिर मराठी मै लक्ष , पंचनामा जैसे मालिका मै छोटे छोटे भूमिकाए कियी . और ऊनका सफर शूरु हुवा , एक दिन मराठी का एक बडा प्रोडक्शन नाट्यमंदार एक नाटक कर रहा था, और उस मे उसंके दोस्त अनिल शिंदे जो अभिनेता है , वह काम कर रहे थे , उस वक्त वह नाटक के लीये एक सहाय्यक लेखक करने वाला लेखक चाहिये था, अनिल जी ने उसका नाम दिया और एक लेखक की कहाणी शूरु हूइ . 

उसंके बाद शॉर्ट फिल्म एकांकिका प्रायोगिक नाटक भी लिखे , आज प्रतिलिपी जैसे एप पर अपनी कहाणीया लिखता है , अब तक कथा , कथा मालिका , कविता एसे विविध प्रकार के साहित्य कुल 80 के उपर प्रकाशित किये है , और लगबग 5 लाख के उपर लोगो ने पढे है . आज इस के लीये प्रतिलिपी गोल्डन बॅच प्रमाणपत्र देकर उसे सन्मानित कीया है . लेखक होने मे उसे बहुत लोंग मदत करते है , जिसमे विशेष नाम आता है तन्मय गावडे जिसने संबसे पहले इस प्रतिलिपी के बारे मे बताया , दर्शन जाधव जो एक लेखक अभिनेता और समीक्षक है , वह भी कहाणी लिखणे मै बहुत मदत करता है , किरण मोते जो एक नये नये कन्सेप्ट की मदत करती है , लेखनी मे कैसे सुधार करे यह बताती है , लेखन के लीये माता पिता भाई का सहयोग है इसलीये इस मुकाम तक पहुचा है , यह बडी दिलचस्प बात है , ऐसा वह कहता है .आज के दौर मै वह फ्यूचर जनरली कंपनी मे नोकरी करता है , वहा से भी उन्हे बडा सहयोग मिलता हे . आज बडे फिल्म नाटक मालिका लिखणे का मनसुबा है बस आपकी सहयोगात की आशा करता हू , और अपणी लेखक की कहाणी और बडी करणे का मनुसबा रखता हू यही ऊनकी सोच है 


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